Goat Farming : अगर आप बकरी पालन करते हैं या आगे करने का सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके बहुत काम की है. कई लोग कहते हैं कि बकरी ‘गरीब की गाय’ होती है, लेकिन सच तो यह है कि अगर आप उसे सही देखभाल और संतुलित आहार दें, तो यह गाय से भी ज्यादा मुनाफा दे सकती है. खासकर दूध देने वाली नस्लों में अगर सही डाइट दी जाए, तो दूध की मात्रा दोगुनी तक बढ़ सकती है और बकरियां बीमार भी नहीं पड़तीं. आज हम आपको बता रहे हैं कि बकरियों को क्या खिलाना चाहिए ताकि वो स्वस्थ रहें और ज्यादा दूध दें.
सिर्फ चारा नहीं, संतुलित डाइट जरूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर पशुपालक बकरियों को खुला छोड़ देते हैं, ताकि वे चराई कर लें. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केवल चराई से बकरियों को उतना पोषण नहीं मिल पाता, जितना उन्हें दूध उत्पादन और सेहत के लिए चाहिए. इसलिए हरा चारा, अनाज, खनिज मिश्रण और साफ पानी इन चार चीजों का होना बेहद जरूरी है.
डाइट में क्या-क्या शामिल करें?
अगर आप चाहते हैं कि आपकी बकरी ज्यादा दूध दे, तो उसके भोजन में ज्वार, बाजरा, मक्का, चोकर, गेंहू का भूसा, सोयाबीन, मूंगफली की खली जैसी चीजें शामिल करें. इसके साथ ही कैल्शियम और फास्फोरस युक्त मिनरल मिक्स भी देना जरूरी है. हरा पत्तेदार चारा जैसे बरसीम, नेपियर घास, लूसर्न (अल्फाल्फा) आदि दूध बढ़ाने में बहुत असरदार माने जाते हैं.
हर्बल सप्लीमेंट्स से बढ़ेगा दूध
आजकल कई किसान बकरियों को अजोला और सतावर भी खिलाते हैं. अजोला एक तरह की पानी में उगने वाली जड़ी-बूटी है, जिसमें प्रोटीन भरपूर होता है. इसे रोज खिलाने से बकरी का दूध बढ़ता है और वजन भी जल्दी बढ़ता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सतावर (Shatavari) एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे अगर आहार में मिलाकर दिया जाए, तो दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ती है.
साफ पानी भी उतना ही जरूरी है
कई बार पशुपालक आहार पर तो ध्यान दे देते हैं, लेकिन पानी पर नहीं. जबकि अगर बकरी को पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा, तो दूध उतरना कम हो जाएगा. कोशिश करें कि दिन में कम से कम 3-4 बार साफ और ताजा पानी दें. गर्मियों में पानी में थोड़ा गुड़ या इलेक्ट्रोलाइट मिलाकर देना भी फायदेमंद होता है.
नियमित देखभाल और टीकाकरण करें
आहार के साथ-साथ बकरियों का टीकाकरण और सफाई पर ध्यान देना भी जरूरी है. समय-समय पर खुरपका-मुंहपका (FMD), पॉक्स, एंटरोटॉक्सेमिया जैसी बीमारियों के टीके लगवाएं. अगर बकरी कीड़े वाली बीमारी (worm infection) से परेशान हो जाए, तो वह ठीक से खाएगी नहीं और दूध भी कम होगा. इसलिए हर 3-4 महीने में डीवॉर्मिंग (कीड़े की दवा) कराना जरूरी है.