दूध, मांस और चमड़ा तीनों से कमाई…ये बकरी नहीं, चलता-फिरता बैंक है

बकरी पालन को गांवों में नया मुकाम मिल रहा है. क्योंकि बीटल नस्ल से किसानों की तीन तरफा कमाई हो रही है. यही वजह है कि यह नस्ल किसानों की कमाई की सबसे बड़ी उम्मीद बन रही है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 5 Jun, 2025 | 11:44 AM

बकरी पालन अब सिर्फ सीमित आय का साधन नहीं रहा, बल्कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के कई हिस्सों में ये फुल-टाइम कारोबार बनता जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी मिसाल है बीटल नस्ल की बकरी, जिसे किसान अब ‘बकरी पालन की कमाई की ट्रिपल मशीन’ कहकर बुला रहे हैं. इसके पीछे की वजह साफ है, क्योंकि ये नस्ल दूध, मांस और चमड़े तीनों से मोटी कमाई का मौका देती है.

दूध उत्पादन में जबरदस्त प्रदर्शन

बीटल नस्ल की बकरी रोजाना औसतन 2 से 2.25 किलो तक दूध देती है. एक ब्यांत में ये 150 से 190 किलो तक दूध देती है. अब अगर दूध की कीमत की बात करें तो बाजार में इसका रेट 100 से 150 रुपये प्रति लीटर तक जाता है. यानी एक बकरी से महीने के 6 से 7 हजार रुपये की आमदनी सिर्फ दूध से ही हो जाती है.यानी एक ब्यांत में 40 से 42 हजार रुपये की कमाई बड़े आराम से हो जाती है. जो किसान डेयरी फॉर्मिंग की सोच रहे हैं और कम निवेश में शुरुआत करना चाहते हैं, उनके लिए ये नस्ल जैकपॉट साबित हो रही है.

मांस से होती है मोटी कमाई

बीटल बकरी का कद-काठी और वजन भी खास है. नर बकरी की लंबाई 86 सेमी और मादा की लंबाई करीब 71 सेमी तक होती है. मादा का वजन आराम से 40 से 50 किलो तक पहुंचता है. मांस की बात करें तो इसका मीट बाजार में 500 से 750 रुपये प्रति किलो बिकता है. 40 किलो के हिसाब से जोड़ा जाए तो एक बकरी का मांस 20 से 25 हजार कमाई बड़े आराम से हो जाती है.

चमड़े से भी कमाई का रास्ता

बीटल नस्ल की एक और खासियत है कि इसकी चमड़ी. इसका रंग हल्का लाल होता है और यह चमड़ा उद्योग में काफी डिमांड में रहती है. इससे बनने वाले प्रोडक्ट्स हाई प्राइस पर बिकते हैं, जिससे किसानों को एक और इनकम का जरिया मिल जाता है.

हर साल देती है जुड़वा बच्चे

बीटल नस्ल की बकरी की एक और बड़ी खासियत है उसकी तेजी से प्रजनन क्षमता हासिल करना. एक नर बकरी (हिरन) महज 12 से 15 महीने की उम्र में प्रजनन योग्य हो जाता है, जबकि मादा बकरी 20 से 22 महीने की उम्र में पहली बार बच्चे पैदा करती है. खास बात ये है कि मादा बीटल बकरी आमतौर पर हर साल एक जोड़ी (दो) बच्चे जन्म देती है, जिससे किसान का झुंड तेजी से बढ़ता है और आमदनी में इजाफा होता है.

मौसम के हिसाब से खुद को ढालने में सक्षम

बीटल नस्ल की बकरी को ज्यादा महंगे या विशेष आहार की जरूरत नहीं होती. यह आसानी से ठंड और बारिश जैसे मौसम सहन कर लेती है. इसकी देखभाल भी बाकी नस्लों की तुलना में आसान है. लंबे लटकते कान और पीछे की ओर मुड़े सींग इसकी अलग पहचान बनाते हैं.

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