Goat Pneumonia: सर्दियों में बकरियों पर मंडराता निमोनिया का खतरा, थोड़ी सी सावधानी बचा देगी बड़ा नुकसान

सर्दियों के मौसम में ठंड और घना कोहरा बकरियों की सेहत के लिए खतरा बन जाता है. इस दौरान निमोनिया जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. सही समय पर पहचान, सावधानी और उचित देखभाल अपनाकर पशुपालक अपने पशुओं को सुरक्षित रख सकते हैं और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 28 Dec, 2025 | 11:29 AM
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Goat Pneumonia : सर्दियों की ठंड जहां इंसानों को रजाई में दुबकने पर मजबूर कर देती है, वहीं बकरियों के लिए यही मौसम सबसे ज्यादा मुश्किल भरा होता है. घना कोहरा, ठंडी हवा और बढ़ी नमी सीधे बकरियों की सेहत पर असर डालती है. इस मौसम में बकरियों में निमोनिया का खतरा तेजी से बढ़ जाता है, जो समय पर संभाला न जाए तो भारी नुकसान का कारण बन सकता है. बकरी पालन आज किसानों की आमदनी का मजबूत सहारा बन चुका है, ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही मेहनत पर पानी फेर सकती है.

सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ठंड के मौसम  में बकरियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. ठंडी हवा और कोहरे के संपर्क में आने से उनकी सांस की नलियों पर असर पड़ता है. यही कारण है कि सर्दियों में खांसी, सर्दी-जुकाम और निमोनिया जैसी बीमारियां तेजी  से फैलती हैं. खासकर सुबह और रात के समय तापमान गिरने पर बकरियां ज्यादा प्रभावित होती हैं. अगर बाड़ा खुला हो या बिछावन गीली हो, तो खतरा और बढ़ जाता है.

निमोनिया के शुरुआती लक्षण पहचानना है जरूरी

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि निमोनिया की शुरुआत हल्के लक्षणों से होती है. बकरी में कंपकंपी, सुस्ती, तेज बुखार, ठंड लगना और नाक से पानी या बलगम  आना इसके आम संकेत हैं. कई बार बकरी खाना-पीना भी कम कर देती है और एक जगह सुस्त बैठी रहती है. अगर इन लक्षणों को समय रहते न पहचाना जाए, तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और जान का खतरा भी बन सकता है.

ठंड में बकरियों की देखभाल कैसे करें

सर्दियों में बकरियों  को सुरक्षित रखने के लिए कुछ आसान लेकिन जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बकरियों के बाड़े को चारों तरफ से ढककर रखना चाहिए ताकि ठंडी हवा और कोहरा अंदर न जाए. बैठने के लिए सूखी और गर्म बिछावन जरूरी है. गीली जमीन या नमी से तुरंत बचाव करें. ठंडा पानी देने से बचें और जरूरत हो तो हल्का गुनगुना पानी पिलाएं. हरा और सूखा चारा संतुलित मात्रा में देकर पोषण का खास ध्यान रखें.

समय पर इलाज से बच सकता है बड़ा नुकसान

अगर बकरी में बीमारी  के लक्षण दिखें, तो देर करना भारी पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरुआती लक्षण मिलते ही पशु चिकित्सक की सलाह लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए. खुद से दवा देने या घरेलू प्रयोग करने से बचना चाहिए. समय पर उपचार और सही देखभाल से न सिर्फ बकरियों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि पशुपालकों को होने वाले आर्थिक नुकसान से भी बचाव होता है.

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