मुर्गी पालन में लगातार मुनाफा चाहते हैं? ये जरूरी बातें आपकी पूरी कमाई को सुरक्षित रखेंगी

मुर्गी पालन आज गांवों में तेजी से बढ़ता बिजनेस बन गया है. कम लागत में शुरू होकर बढ़िया मुनाफा देने वाला यह काम तभी सुरक्षित रहता है जब फार्म में साफ-सफाई, बीमारी से बचाव और सही प्रबंधन का पूरा ध्यान रखा जाए. थोड़ी सावधानी से किसान बड़ी कमाई और स्थिर आय हासिल कर सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 18 Nov, 2025 | 06:00 AM

Poultry Farming : गांवों में आजकल मुर्गी पालन एक तेजी से बढ़ता हुआ बिजनेस बन गया है. कम पूंजी में शुरू होकर अच्छा मुनाफा देने वाला यह काम कई परिवारों की आय का बड़ा सहारा बन चुका है. लेकिन सच यह भी है कि पोल्ट्री फार्मिंग उतनी आसान नहीं जितनी दिखती है. अगर शुरुआत सही ज्ञान और सावधानी के साथ की जाए, तो यह व्यवसाय ना सिर्फ सुरक्षित बनता है बल्कि लगातार कमाई भी देता है. यही वजह है कि विशेषज्ञ हमेशा कहते हैं मुर्गियों से मुनाफा कमाना है, तो सावधानी ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है.

मुर्गियों को साफ और सुरक्षित जगह देना सबसे जरूरी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुर्गी पालन  का पहला नियम है-मुर्गियों को सही माहौल मिले. इसके लिए बाड़े की साफ-सफाई को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए. मुर्गियों को एक बंद, सुरक्षित और साफ वातावरण चाहिए, जहां मौसम का असर और अन्य जानवरों का खतरा कम हो. बाड़े में अनावश्यक लोगों का आना-जाना भी रोकना जरूरी है, क्योंकि कई बीमारियां बाहरी संपर्क से फैल जाती हैं. मुर्गियों के रहने का स्थान रोज साफ होना चाहिए. पानी और चारे के बर्तन भी हर दिन धोने चाहिए ताकि कीटाणु न बनें. अगर सफाई पर ध्यान न दिया जाए तो एक संक्रमित मुर्गी पूरे फार्म को बीमार कर सकती है.

बीमारियों से बचाव-नियमित सफाई और समय पर दवाई

मुर्गियों में बीमारियां  बहुत तेजी से फैलती हैं. इसलिए फार्म को हमेशा संक्रमण मुक्त रखना जरूरी है. हर कुछ दिनों में बाड़े की डिसइंफेक्शन यानी कीटाणुनाशन प्रक्रिया करनी होती है. नए चूजों को फार्म में लाने से पहले यह देख लें कि जिस हेचरी से चूजे ला रहे हैं, वहां पिछले तीन महीनों में कोई बीमारी नहीं फैली हो. इसके अलावा हेचरी से लाए गए चूजों को सीधे बाकी मुर्गियों के साथ न रखें. कम से कम 30 दिनों तक अलग रखना ही सुरक्षित तरीका है. मुर्गियों के स्वास्थ्य पर भी लगातार नजर रखें. आंखों या गर्दन में सूजन, पंखों का रंग बदलना, कम अंडे देना-ये सब बीमारी के संकेत हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.

फार्म में आने-जाने वालों पर रखें पूरा नियंत्रण

मुर्गी पालन में सबसे बड़ा खतरा वही लोग बन जाते हैं जो अनजाने में वायरस लेकर अंदर प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि-

  • फार्म में सिर्फ वही लोग जाएं जो रोज देखभाल करते हैं.
  • जूते-चप्पल, कपड़े और हाथ पहले साफ किए जाएं.
  • मुख्य प्रवेश द्वार पर वाहन को भी कीटाणु रहित करके ही अंदर आने दिया जाए.

फुट बाथ का इस्तेमाल करना भी बहुत मददगार है. इसके लिए सोडियम हाइड्रोऑक्साइड का घोल द्वार पर रखना चाहिए ताकि जूते पर लगे कीटाणु अंदर न जाएं.

मुर्गियों को अन्य जानवरों और पक्षियों से दूर रखें

कई बार मुर्गियों में बीमारी दूसरे जानवरों या पक्षियों   से फैलती है. इसलिए फार्म को पूरी तरह सुरक्षित रखना जरूरी है. कुत्ते, बिल्ली, चूहे और जंगली जानवरों को फार्म में आने से रोकें. खासकर चूहे बड़ी समस्या हैं क्योंकि ये बाड़े में मौजूद चारे को खराब कर देते हैं और बीमारियां भी फैलाते हैं. इसके अलावा प्रवासी पक्षी, बत्तख या पानी में रहने वाले अन्य पक्षी भी बीमारी के वाहक हो सकते हैं. ऐसे पक्षियों को फार्म के पास भी न आने दें.

सही प्रबंधन और ज्ञान से बढ़ेगी प्रॉफिट और फार्म की उम्र

मुर्गी पालन सिर्फ अंडा या मांस  बेचने तक सीमित नहीं है. यह एक पूरा प्रबंधन है जिसमें रोज की देखभाल, साफ-सफाई, आहार, पानी और सुरक्षा शामिल है. जो किसान इन बातों का ध्यान रखते हैं, वे लंबा और स्थिर मुनाफा कमाते हैं. फार्म में बीमारी, मौत या नुकसान होने पर तुरंत पशु चिकित्सक को सूचना देना जरूरी है ताकि बीमारी फैलने से पहले ही नियंत्रण किया जा सके. सही प्रबंधन न सिर्फ नुकसान रोकता है बल्कि मुर्गियों की productivity भी बढ़ाता है जिससे बिजनेस तेजी से आगे बढ़ता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 18 Nov, 2025 | 06:00 AM

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.

Side Banner

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.