बारिश का मौसम किसानों के लिए फसलों की अच्छी पैदावार का समय होता है, लेकिन इस मौसम में पशुधन के लिए कई समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं. खासतौर पर गाय, भैंस और अन्य पालतू जानवरों को खून चूसने वाले कीड़े और पेट के परजीवी संक्रमण का सामना करना पड़ता है. ये संक्रमण जानवरों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो गंभीर बीमारी भी हो सकती है.
बरसात में क्यों बढ़ जाते हैं परजीवी संक्रमण?
मौसम में बारिश होने से खेतों, तालाबों और नालों में पानी जमा हो जाता है. ऐसे जलाशयों में घोंघे (स्नेल्स) की संख्या बढ़ जाती है, जो कि कीड़ों के संक्रमण फैलाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं. ये घोंघे पशुओं के शरीर में प्रवेश कर पेट के अंदर कीड़ों का कारण बनते हैं. इन कीड़ों को आम भाषा में किर्मी कहा जाता है जो आंतों और आमाशय में रहते हैं. इससे पशुओं की त्वचा खराब हो जाती है, बाल रूखे हो जाते हैं और जानवर कमजोर पड़ने लगते हैं.
परजीवी संक्रमण से बचाव के उपाय
मौसम में खून चूसने वाले कीड़ों और पेट के परजीवी संक्रमण से बचने के लिए समय पर दवा देना सबसे ज़रूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, बरसात शुरू होने से पहले पशुओं को पेट कीड़ों की दवा जरूर देनी चाहिए. इसके साथ ही हर तीन महीने पर नियमित दवा देना फायदेमंद रहता है. नवजात बछड़ों को जन्म के 8-10 दिन बाद ही दवा देना आवश्यक है ताकि वे भी संक्रमण से बच सकें.
घरेलू उपायों में नीम के पत्ते काफी उपयोगी साबित होते हैं. नीम के पत्तों को गुड़ के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाने से पेट के कीड़े कम हो जाते हैं और जानवर स्वस्थ रहते हैं. इसके अलावा पशुओं की साफ-सफाई और रहने की जगह को भी स्वच्छ रखना बेहद जरूरी है.
समय पर इलाज और सावधानी से बचाएं पशुओं की जान
बारिश की वजह से जहां खेतों को जीवन मिलता है, वहीं पशुधन को कई बीमारियां भी हो जाती हैं. पेट के कीड़ों और खून चूसने वाले परजीवियों का संक्रमण जानवरों की सेहत पर बुरा असर डालता है. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह संक्रमण लंग्स वार्म, हार्ट वार्म जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जिससे जानवरों की मौत भी हो सकती है. इसलिए किसानों और पशुपालकों को चाहिए कि वे बरसात के मौसम में विशेष ध्यान रखें और पशुओं की नियमित जांच कराएं.
बारिश के समय पशुओं के लिए उचित दवा, साफ-सफाई, और घरेलू नुस्खों का उपयोग ही उनकी सेहत बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका है. इससे न केवल जानवर स्वस्थ रहते हैं बल्कि किसान भी आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं.
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