भारत में जब किसी गांव में सांप निकलता है तो ज्यादातर लोग डर के मारे उसे मारने दौड़ते हैं. लेकिन बिहार के बक्सर जिले के 24 साल के हरीओम इस डर से लड़ते हैं–सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि सांपों की जान बचाने के लिए. लोग उन्हें स्नेक मैन ऑफ बिहार (Snake Man of Bihar) कहते हैं. अब तक हरीओम 4000 से ज्यादा सांपों को सुरक्षित बचा चुके हैं, जिनमें कई जहरीले सांप भी शामिल हैं. सांपों से उनका रिश्ता सिर्फ डर और खतरे से नहीं, बल्कि प्रेम और समझ से जुड़ा है. बिना किसी डर के, बिना सरकारी मदद के, वे लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि सांपों से डरें नहीं, बल्कि उन्हें समझें और समय पर इलाज कराएं.
कोबरा ने तीन बार काटा, फिर भी नहीं डरे
कोबरा को दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में गिना जाता है. हरीओम को अब तक तीन बार कोबरा ने डंसा है, लेकिन हर बार उन्होंने बिना घबराए इलाज कराया और बच गए. किसान इंडिया के रिपोर्टर से बात करते हुए हरिओम बताते हैं कि अगर सही समय पर मेडिकल इलाज मिल जाए, तो किसी भी सांप के काटने से जान बच सकती है. वे बताते हैं कि लोगों की मौत ज्यादातर डर, घबराहट और झाड़-फूंक के भरोसे बैठने से होती है, न कि जहर से.
बचपन से है सांपों से प्यार, अब बना लिया मिशन
हरीओम बक्सर के दलसागर गांव के रहने वाले हैं. बचपन में जब बाढ़ आती थी तो गांव में ढेर सारे सांप निकलते थे. तब लोग उन्हें लाठियों से मार देते थे. यही देखकर हरीओम के मन में सांपों को बचाने का जुनून पैदा हुआ. उन्होंने बिना किसी ट्रेनिंग के ही यह काम शुरू किया. शुरुआत में लोग उनका मजाक उड़ाते थे, परिवार ने डांटा भी, लेकिन हरीओम ने हार नहीं मानी. आज पूरा गांव नहीं, बल्कि पूरा इलाका उन्हें सांपों का मसीहा मानता है.
4000 से ज्यादा सांपों को बचा चुके हैं
पिछले 6 सालों से हरीओम हर दिन सांपों को बचाने में लगे हैं. आसपास के किसी भी गांव में अगर सांप निकलता है, तो लोग उन्हें फोन करते हैं. वे अपने खर्चे पर वहां पहुंचते हैं, सांप को पकड़ते हैं और जंगल में सुरक्षित छोड़ आते हैं. सिर्फ सांपों को बचाने तक ही वे सीमित नहीं हैं, वे लोगों को यह भी समझाते हैं कि हर सांप ज़हरीला नहीं होता. भारत में करीब 300 प्रजातियां हैं, लेकिन सिर्फ 4-5 ही ऐसी हैं जो जानलेवा हैं.
लोगों को जागरूक कर रहे हैं अंधविश्वास के खिलाफ
हरीओम का मानना है कि सिनेमा और कहानियों ने लोगों के मन में सांपों को लेकर डर और अंधविश्वास भर दिया है. लोग मानते हैं कि सांप बदला लेते हैं या तांत्रिक शक्ति रखते हैं. वे लगातार सोशल मीडिया और अपने प्रयासों के जरिए लोगों को यह समझाते हैं कि ये सब बातें गलत हैं. इलाज ही एकमात्र तरीका है. झाड़-फूंक से कोई नहीं बचता, डॉक्टर ही बचा सकता है, हरीओम बार-बार यह बात दोहराते हैं.
अब सिर्फ सांप नहीं, हर जानवर को बचा रहे हैं
सांपों से शुरू हुआ हरीओम का सफर अब जानवरों के लिए समर्पण बन चुका है. उन्होंने नेचर वाइल्डलाइफ केयर नाम से एक केंद्र शुरू किया है, जहां घायल कुत्ते, बिल्ली, बंदर जैसे जानवरों का मुफ्त इलाज किया जाता है. उनकी एक टीम है, जो जैसे ही किसी जानवर के घायल होने की खबर मिलती है, तुरंत मदद के लिए पहुंच जाती है. हरीओम बताते हैं, हम हर जानवर को बराबर मानते हैं, न कि किसी को सिर्फ धार्मिक वजह से ज्यादा अहमियत देते हैं.
खर्च खुद उठाते हैं, सोशल मीडिया से भी मदद मिलती है
हरीओम अपना ज्यादातर खर्च खुद उठाते हैं. जब वे किसी सांप को पकड़ने जाते हैं, तो कभी-कभी लोग छोटी-मोटी मदद कर देते हैं. इसके अलावा वे सोशल मीडिया पर अपनी कहानियां और वीडियो पोस्ट करते हैं, जहां से उन्हें कुछ आर्थिक मदद भी मिल जाती है. वे कहते हैं कि सरकार अगर चाहे तो ऐसे प्रयासों को बढ़ावा देकर जानवरों और इंसानों दोनों की जान बचा सकती है. (रिपोर्ट- उज्ज्वल कुमार)