दूध देने में भैंसों को टक्कर देती हैं गाय की ये टॉप 3 देशी नस्लें, किसानों की बढ़ रही कमाई

देशभर में किसान अब भैंस पालन छोड़ गाय पालन की ओर रुख कर रहे हैं. देशी नस्लों की गायें अब अधिक दूध और बेहतर गुणवत्ता के कारण किसानों की पहली पसंद बन गई हैं. सरकारी योजनाओं से गाय पालन अब लाभदायक व्यवसाय बन गया है.

Kisan India
नोएडा | Published: 30 Oct, 2025 | 06:18 PM

Cow Farming : देश में दूध की बढ़ती मांग ने किसानों की सोच को बदल दिया है. पहले जहां किसान सिर्फ भैंस पालन को ही लाभदायक मानते थे, वहीं अब गाय पालन भी उनकी पहली पसंद बनता जा रहा है. आज कई ऐसी देशी गाय की नस्लें हैं जो दूध उत्पादन में भैंसों को कड़ी टक्कर दे रही हैं. कम खर्च में ज्यादा दूध और बेहतर क्वालिटी के कारण किसान इन नस्लों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं.

साहीवाल गाय: देशी नस्लों की रानी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साहीवाल गाय को भारत की सबसे ज्यादा दूध  देने वाली देशी नस्ल माना जाता है. यह रोजाना 15 से 25 लीटर तक दूध देने में सक्षम होती है. इसका दूध न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि इसमें वसा की मात्रा भी अधिक होती है, जिससे इसका दाम बाजार में अच्छा मिलता है. यह नस्ल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के इलाकों में अधिक पाई जाती है. इसकी एक बड़ी खासियत यह है कि यह गर्म और ठंडे दोनों मौसमों में खुद को आसानी से ढाल लेती है. इसलिए किसान बिना किसी बड़ी लागत के इसे पाल सकते हैं.

गिर गाय: A2 दूध से बढ़ती कमाई

गिर गाय  गुजरात के गिर जंगलों की मशहूर नस्ल है. इसे पहचानना आसान है क्योंकि इसके कान पान के पत्ते जैसे लंबे और मुड़े होते हैं. गिर गाय 10 से 20 लीटर तक दूध देती है, और उसका दूध A2 क्वालिटी वाला होता है, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. देशभर में A2 दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरों में, जहां लोग इसे सामान्य दूध से ज्यादा दाम में खरीदते हैं. इसलिए, गिर गाय का पालन किसानों के लिए सुनहरा अवसर बन चुका है.

हरियाणा नस्ल: मेहनती और भरोसेमंद गाय

हरियाणा नस्ल की गाय को किसान दो फायदे वाली गाय कहते हैं. यह न केवल 10 से 15 लीटर दूध देती है बल्कि खेतों में हल चलाने और अन्य कामों के लिए भी उपयोगी होती है. इसका शरीर मजबूत होता है और यह मुश्किल मौसम में भी खुद को संभाल लेती है. कम देखभाल में अच्छे उत्पादन की वजह से यह छोटे और मध्यम किसानों की पहली पसंद बन रही है.

सरकारी योजना: गोकुल मिशन से मिली नई रफ्तार

देश में गायों की नस्ल सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ (RGM) शुरू किया है. इस योजना के तहत किसानों को कृत्रिम गर्भाधान, आईवीएफ तकनीक, और सैक्स-सॉर्टेड सीमेन जैसी आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं. इससे गायों की नस्लें बेहतर हो रही हैं और दूध उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. सरकार गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए गोकुल ग्राम भी स्थापित कर रही है, जहां नस्ल सुधार और प्रशिक्षण दोनों मिलते हैं. इससे किसानों की आमदनी में सीधा इजाफा हुआ है.

विदेशी नस्लें भी बन रहीं कमाई का जरिया

अगर कोई किसान विदेशी नस्ल  की गायों में रुचि रखता है, तो होल्स्टीन फ्रिज़ियन (HF) और जर्सी गाय जैसे विकल्प काफी लोकप्रिय हैं. होल्स्टीन फ्रिज़ियन गाय एक दिन में 20 लीटर से ज्यादा दूध दे सकती है. वहीं, जर्सी गाय कम चारा खाकर भी अच्छा उत्पादन देती है. हालांकि, इनकी देखभाल का खर्च देशी गायों की तुलना में थोड़ा ज़्यादा होता है, इसलिए शुरुआती निवेश भी अधिक होता है.

कम लागत, बड़ा मुनाफा

देशी गाय पालन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी देखभाल सस्ती है, बीमारियां कम होती हैं और दूध की मांग हमेशा बनी रहती है. किसान अगर साहीवाल, गिर या हरियाणा नस्ल की गायों का पालन करें, तो वे हर महीने हजारों रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. सरकार की योजनाओं और तकनीकी सहायता से अब गाय पालन न सिर्फ परंपरा रह गया है, बल्कि एक लाभदायक व्यवसाय बन चुका है, जो किसानों को आत्मनिर्भर बना रहा है.

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Published: 30 Oct, 2025 | 06:18 PM

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