मुर्गियों में तेजी से फैल रहा ये खतरनाक रोग, मौत से बचाने के लिए तुरंत करें ये उपाय.. अलर्ट जारी

बिहार में मुर्गियों में एक खतरनाक रोग फैल रहा है. इसके लिए समय पर टीकाकरण और शेड की सफाई जरूरी है. किसानों को सचेत रहने और बीमार मुर्गियों को अलग रखने की सलाह दी गई है.

Kisan India
नोएडा | Published: 4 Oct, 2025 | 07:30 PM

Poultry Farming: बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मुर्गी पालकों के लिए बड़ा अलर्ट जारी किया है. इन दिनों मुर्गियों में रानीखेत नाम का वायरल रोग तेजी से फैल रहा है. यह बीमारी बेहद खतरनाक होती है और अगर समय रहते रोकथाम नहीं की गई तो पूरा झुंड कुछ ही दिनों में खत्म हो सकता है. खासकर उन किसानों और छोटे व्यवसायियों को सतर्क रहने की जरूरत है जो ब्रायलर या देशी मुर्गी पालन करते हैं.

क्या होता है रानीखेत रोग?

रानीखेत एक वायरल बीमारी  है जो मुर्गियों के सांस, नर्वस सिस्टम और पाचन तंत्र पर हमला करती है. यह बीमारी हवा, पानी, चारे या एक-दूसरे के संपर्क से तेजी से फैलती है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह बीमारी एक बार फैल जाए तो इसे रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है.

रानीखेत से संक्रमित मुर्गियों की कैसे करें पहचान ?

बिहार सरकार के पशुपालन विभाग  के अनुसार रानीखेत बीमारी को पहचानना मुश्किल नहीं है. अगर मुर्गी का सिर या गर्दन टेढ़ी होने लगे, हरा और पतला दस्त दिखाई दे, या चोंच से झाग जैसा पदार्थ निकलता दिखे, तो ये शुरुआती संकेत हो सकते हैं. इसके अलावा अंडे देने वाली मुर्गियों में अचानक उत्पादन कम होना भी बड़ा संकेत है. कई बार मुर्गियां बिना किसी लक्षण के अचानक मर जाती हैं. अगर झुंड में एक या दो मुर्गियों में ये लक्षण नजर आएं, तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें, क्योंकि यह बीमारी तेजी से फैलती है और पूरे झुंड को प्रभावित कर सकती है. तुरंत सावधानी बरतना जरूरी है.

क्या इसका इलाज संभव है?

सबसे बड़ी परेशानी यह है कि रानीखेत रोग का कोई पक्का इलाज नहीं है. एक बार वायरस शरीर में घुस गया तो दवाओं से इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता. हालांकि, बीमार मुर्गियों को इलेक्ट्रोलाइट और मल्टीविटामिन देने से उनकी हालत थोड़ी बेहतर हो सकती है, लेकिन यह सिर्फ अस्थायी राहत है. यानी साफ है-इलाज से ज्यादा जरूरी है बचाव.

टीकाकरण ही है सबसे बड़ा हथियार

इस बीमारी से बचने का एक ही तरीका है- समय पर टीकाकरण. बिहार सरकार ने सलाह दी है कि मुर्गियों को 7वें दिन से ही पहला टीका जरूर लगवाना चाहिए. इसके बाद डॉक्टर या पशुपालन विभाग की सलाह के अनुसार कुछ हफ्तों या महीनों में दूसरा डोज देना जरूरी होता है. अगर मुर्गी पालन बड़े पैमाने पर हो तो समूह टीकाकरण कराएं और पास के सरकारी पशु अस्पताल  या पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

मुर्गी पालकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

सिर्फ टीकाकरण ही रानीखेत रोग से पूरी सुरक्षा नहीं देता. मुर्गियों के रहने की जगह पर भी पूरी सफाई और निगरानी जरूरी है. शेड को रोज साफ करें और गंदगी बिल्कुल न रहने दें. पीने के पानी में हल्का डिसइंफेक्टेंट या पोटैशियम परमैंगनेट मिलाएं. बीमार मुर्गियों को बाकी झुंड से अलग रखें ताकि बीमारी फैलने से रोकी जा सके. शेड में बाहरी लोगों का बार-बार आना बंद करें. नए खरीदे गए चूजों को सीधे पुराने झुंड में न मिलाएं, पहले 4-5 दिन अलग रखें. इन सावधानियों से संक्रमण का खतरा काफी कम किया जा सकता है.

सरकार क्या मदद दे रही है?

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ग्रामीण क्षेत्रों  में टीकाकरण और जागरूकता अभियान चला रहा है. कई जगहों पर फ्री में दवाइयां और टीके भी उपलब्ध कराए जाते हैं. किसान चाहे तो अपने नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क कर जानकारी और सहायता ले सकते हैं.

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Published: 4 Oct, 2025 | 07:30 PM

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