डेयरी बिजनेस में मुनाफा बढ़ाना है? तो इस भैस का करें पालन..रोज देती 15 लीटर दूध

डेयरी व्यवसाय में मुनाफा बढ़ाने के लिए सही नस्ल का चुनाव जरूरी है. गुजरात की बन्नी भैंस कम देखभाल में अच्छा दूध देने के लिए जानी जाती है. यह हर मौसम में आसानी से ढल जाती है और कम पानी में भी पाली जा सकती है, जिससे पशुपालकों की लागत कम होती है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 31 Dec, 2025 | 10:06 AM
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Banni Buffalo : गांवों में पशुपालन करने वाले लोग हमेशा ऐसी नस्ल की तलाश में रहते हैं, जो कम खर्च में ज्यादा मुनाफा दे. खासकर डेयरी व्यवसाय से जुड़े पशुपालक चाहते हैं कि भैंस मजबूत हो, बीमार कम पड़े और दूध अच्छा दे. ऐसी ही एक खास नस्ल है बन्नी भैंस, जो आज पशुपालकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. गुजरात की यह देसी नस्ल न सिर्फ अपनी सहनशक्ति के लिए जानी जाती है, बल्कि रोजाना करीब 15 लीटर दूध देने की क्षमता के कारण पशुपालकों को अच्छी कमाई भी करवा रही है.

हर मौसम में ढलने वाली मजबूत नस्ल

बन्नी भैंस  की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हर तरह के मौसम में खुद को आसानी से ढाल लेती है. तेज गर्मी हो या ठंड का मौसम, इसका स्वास्थ्य ज्यादा प्रभावित नहीं होता. यही वजह है कि यह नस्ल देश के अलग-अलग इलाकों में पाली जा सकती है. पशुपालकों के अनुसार, दूसरी नस्लों की तुलना में बन्नी भैंस कम बीमार पड़ती है, जिससे इलाज पर होने वाला खर्च भी कम हो जाता है.

कम पानी में भी आसानी से हो जाती है परवरिश

आज के समय में पानी की कमी  एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, खासकर सूखे इलाकों में. ऐसे में बन्नी भैंस एक बेहतर विकल्प साबित होती है. इस नस्ल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती और यह कम जल संसाधन वाले क्षेत्रों में भी आराम से पाली जा सकती है. यही कारण है कि पानी की समस्या से जूझ रहे पशुपालकों के लिए यह भैंस काफी फायदेमंद मानी जा रही है.

बनावट ऐसी कि पहचान में आ जाए

बन्नी भैंस मध्यम से बड़े आकार की होती है और इसकी शारीरिक बनावट काफी मजबूत होती है. इसके सींग मध्यम से बड़े आकार के होते हैं, जो मुड़े हुए और ऊपर की ओर उठे रहते हैं. यही इसकी पहचान है, जो इसे दूसरी नस्लों  से अलग बनाती है. मजबूत शरीर होने की वजह से इसका रखरखाव भी आसान रहता है और यह ग्रामीण परिस्थितियों में अच्छी तरह ढल जाती है.

कम देखभाल में ज्यादा दूध, इसलिए सोना कहलाती है

डेयरी व्यवसाय में सबसे अहम चीज होती है दूध उत्पादन. बन्नी भैंस इस मामले में भी आगे है. यह भैंस रोजाना औसतन करीब 15 लीटर दूध देती है. खास बात यह है कि इसके लिए बहुत ज्यादा खास देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. कम खर्च में अच्छा दूध मिलने की वजह से पशुपालक इसे सोना कहने लगे हैं.

पशुपालन और डेयरी विभाग  के अनुसार, बन्नी भैंस मुख्य रूप से गुजरात में पाई जाती है, लेकिन इसकी उपयोगिता को देखते हुए अब यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है. जो पशुपालक डेयरी व्यवसाय से मुनाफा बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए बन्नी भैंस एक मजबूत और भरोसेमंद विकल्प साबित हो सकती है.

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