Punjab News: केंद्र और राज्य सरकार की कोशिशों से पराली जलाने की आदत को खत्म करने के लिए इस साल पंजाब में बायोमास पेलेट बनाने वाली यूनिट्स की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ये पेलेट इंडस्ट्री में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होते हैं. यह पहल पहली बार 2023 में शुरू की गई थी, जब पांच पेलेट बनाने की यूनिट्स लगाई गई थीं. 2024 में ये संख्या बढ़कर 16 हो गई, जो हर साल करीब 3.05 लाख टन पराली को प्रोसेस कर सकती हैं. इस साल अब 23 यूनिट्स 11 जिलों में काम कर रही हैं और 43 और फैक्ट्रियां अलग-अलग जगहों पर बन रही हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों के अनुसार, इन सभी से कुल क्षमता 11.71 लाख टन तक पहुंच सकती है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, PPCB के पूर्व मुख्य पर्यावरण इंजीनियर, क्रुनेश गर्ग ने कहा कि पेलेट यूनिट्स की बढ़ती संख्या से साफ है कि उद्यमियों को यह पहल पसंद आ रही है, क्योंकि बायोमास ईंधन की बड़ी मांग है. इस बार PPCB ने राज्य के थर्मल पावर प्लांट्स को निर्देश दिया है कि वे इन यूनिट्स से पेलेट और ब्रिकेट खरीदें. साथ ही, ईंट भट्टों और दूसरी इंडस्ट्रीज में भी पराली का इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिश हो रही है.
40 फीसदी की वित्तीय सहायता
पंजाब में हर खरीफ सीजन में लगभग 1.9 करोड़ टन पराली निकलती है. सरकार इसके निपटारे के लिए उपाय कर रही है. इस क्षेत्र में बढ़ती रुचि की एक बड़ी वजह केंद्र सरकार की 40 फीसदी की वित्तीय सहायता भी है. PPCB के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने मार्केट में पेलेट्स की डिमांड बढ़ाकर उद्यमियों को इसके लिए प्रेरित किया है.
खरीद सकते हैं बायोमास ईंधन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में बायोमास पेलेट बनाने वाली सबसे ज्यादा 6 फैक्ट्रियां इस समय मानसा जिले में चल रही हैं, और यहां 8 नई यूनिट्स बनने की योजना भी है. अधिकारियों के अनुसार, उद्यमी मानसा जैसे कम विकसित जिले को इसलिए पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यहां एक प्राइवेट पावर प्लांट है और बठिंडा के लहरा मोहब्बत में एक सरकारी थर्मल पावर प्लांट भी पास ही है, जो बायोमास ईंधन खरीद सकते हैं.
बठिंडा में 2-2 यूनिट्स चल रही हैं
अन्य जिलों की बात करें तो मोगा में 4, पटियाला में 3, और अमृतसर व बठिंडा में 2-2 यूनिट्स चल रही हैं. वहीं, पठानकोट में- जहां किसान ज्यादा तर बासमती धान उगाते हैं. अभी तक कोई यूनिट नहीं लगी है और न ही कोई प्रस्तावित है. मानसा के बाद, संगरूर, गुरदासपुर, लुधियाना और जालंधर में भी जल्द ही 4-4 नई बायोमास फैक्ट्रियां शुरू होने वाली हैं.