Maharashtra News: इस साल महाराष्ट्र में भारी बारिश हुई. खासकर अक्टूबर के पहले हफ्ते में हुई बारिश ने खरीफ फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया. मराठवाड़ा, अहिल्यानगर और सोलापुर के कई हिस्सों में फसल नुकसान के चलते किसानों को बहुत अधिक आर्थिक हानि हुई है. इससे राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा. लेकिन इस भारी बारिश से एक अच्छी बात यह हुई कि बांध, झीलें, कुएं और जलस्तर फिर से भर गए हैं. ऐसे में कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि भारी बारिश से भले ही खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन रबी के लिए यह वरदान से कम नहीं है. यानी अब रबी की खेती करने वाले किसानों को इसका फायदा मिलेगा.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मराठवाड़ा में जिन खेतों में बाढ़ से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, वहां के किसान रबी की अच्छी फसल उगा सकेंगे. इसी तरह, बाकी इलाकों में जहां बारिश थोड़ी ज्यादा जरूर हुई, लेकिन नुकसान नहीं पहुंचा, वहां के किसानों को भी अच्छी उम्मीद है. महाराष्ट्र में इस साल सामान्य से 109 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. इससे राज्य में पानी की उपलब्धता बढ़ी है और रबी फसलों की बुवाई का क्षेत्र भी करीब 8 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया है.
144 लाख हेक्टेयर में खरीफ की खेती
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त और सितंबर में हुई भारी बारिश से खरीफ फसल को बड़ा नुकसान हुआ. करीब 30 लाख किसानों की 65 लाख हेक्टेयर में फसल बर्बाद हुई, जबकि कुल 144 लाख हेक्टेयर में खरीफ की खेती हुई थी. सरकार ने नुकसान झेल रहे किसानों के लिए 31,628 करोड़ रुपये का मुआवजा पैकेज घोषित किया है. फिर भी हालात पूरी तरह निराशाजनक नहीं हैं. कृषि विभाग ने रबी सीजन की तैयारी के लिए हाल ही में एक समीक्षा बैठक की. आमतौर पर महाराष्ट्र में रबी की फसलें करीब 57 लाख हेक्टेयर में बोई जाती हैं, लेकिन इस बार बारिश अच्छी होने के कारण यह क्षेत्र 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है.
3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में चने की खेती
कृषि मंत्री दत्तात्रय भरणे ने अधिकारियों से कहा है कि रबी सीजन के लिए किसानों को बीज और खाद की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए. उन्होंने कहा कि मौसम विभाग के अनुमान इस बार ठंड ज्यादा पड़ेगी, जो गेहूं और चने जैसी फसलों के लिए फायदेमंद है. इसलिए किसान इन फसलों की ओर ज्यादा रुझान दिखा सकते हैं. भरणे के अनुसार, इस बार गेहूं और चने की खेती का क्षेत्र 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा हो सकता है.
11.23 लाख क्विंटल बीज की जरूरत
कृषि विभाग के मुताबिक, रबी सीजन में कुल 11.23 लाख क्विंटल बीजों की जरूरत होती है, लेकिन राज्य के पास अभी 14.58 लाख क्विंटल बीज उपलब्ध हैं. पिछले साल रबी में औसतन 25.8 लाख मीट्रिक टन खाद का इस्तेमाल हुआ था. इस साल खेती का क्षेत्र बढ़ने के कारण भरणे ने केंद्र सरकार से ज्यादा खाद की मांग की थी. इसके बाद केंद्र ने महाराष्ट्र के लिए 31.35 लाख मीट्रिक टन खाद मंजूर की है, जबकि अभी राज्य के पास 16.10 लाख मीट्रिक टन खाद पहले से मौजूद है.