Pea Farming: रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है और किसान अपने खेतों को रबी फसलों की खेती के लिए तैयार करने में जुट गए है. रबी सीजन में ऐसी बहुत सी सब्जी फसलें हैं, जिनकी खेती किसानों को अच्छा मुनाफा कराती है. मटर उन्हीं फसलों से एक है. आज के समय में किसान ऐसी फसलों की खेती करना पसंद करते हैं, जो कम समय, कम मेहनत और कम लागत में अच्छा उत्पादन दें. ऐसे में किसान मटर की अगेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. अगेती मटर की ऐसी ही एक उन्नत क्वालिटी की विदेशी किस्म है अर्ली बैजर (Early Badger). इस किस्म की खासियत है कि ये कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है और किसानों को कम समय में अच्छा मुनाफा भी हो जाता है.
क्या है इस किस्म की खासियत
अगेती मटर की किस्म अर्ली बैजर मटर की विदेशी किस्म है. मुख्य रूप से ये किस्म अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है. कम समय और कम लागत में तैयार होने के कारण भारत में भी इस किस्म को अपनाया गया और नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन (NSC), भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी द्वारा भारत में किसानों के बीच इस किस्म का प्रचार किया गया. ऐसे किसान जो मौसमी फसलों की खेती करते हैं उनके लिए इस किस्म की खेती बेस्ट है, क्योंकि इसकी पैदावार जल्दी मिलने के कारण खेत जल्दी खाली हो जाते हैं. ऐसे में किसान अपने खेत में अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं. अगेती मटर की इस किस्म की एक खासियत ये भी है कि ये रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है.

कम पानी में भी पैदावार देती है अगेती मटर अर्ली बैजर (Photo Credit- Canva)
100 क्विंटल तक देती है पैदावार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगेती मटर की किस्म अर्ली बैजर की खेती अगर अच्छी देखभाल के साथ की जाए तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान 100 से 150 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. बाजार में इसकी कीमत औसतन 100 रुपये किलोग्राम तक हो सकती है. यानी अगर कोई किसान 120 क्विंटल पैदावार ले रहा है तो 100 रुपये किलोग्राम के हिसाब से किसान इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से करीब 12 लाख रुपये की कमाई कर सकता है. इस किस्म की खासियत है कि ये बुवाई के 55 से 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस कारण से किसानों को अपने खेतों में अन्य फसलों की खेती के लिए जगह और समय दोनों जल्दी मिल जाते हैं.
ऐसे कर सकते हैं खेती
अर्ली बैजर मटर की खेती के लिए सितंबर का अंतिम सप्ताह और अक्टूबर का पहला सप्ताह सही माना जाता है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी बेस्ट होती है, जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बीज बुवाई से पहले खेत को 2 से 3 बार गहराई में जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और खरपतवार नष्ट हो सकें. खेत की तैयार करते समय मिट्टी में 8 से 10 टन गोबर की खाद जरूर मिलाएं. बीज बुवाई के लिए 30 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर मिट्टी में 3 से 4 सेंटीमीटर गहराई में बीज बोएं. बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें.