Uttar Pradesh News: रबी सीजन की फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुटे किसानों को फफूंद रोग से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्राइकोडर्मा दवा की बिक्री शुरू की है. राज्य सरकार ने कहा है कि रबी सीजन का उत्पादन पिछले उत्पादन आंकड़ों से अधिक करना है और किसानों की उपज बढ़ने से उन्हें मुनाफा भी अधिक होगा. इसके लिए सबसे जरूरी है कि फसलों को बीमारियों, कीटों के प्रकोप से बचाया जाए और इसीलिए ट्राइकोडर्मा को सब्सिडी के साथ बिक्री की शुरुआत की गई है.
ट्राइकोडर्मा क्या है और इसकी जरूरत क्यों
ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) एक तरह का फफूंदनाशक है. वैसे यह भी एक तरह का कवक (fungus) है, जो मिट्टी में पाया जाता है और पौधों की जड़ों के पास रहकर उन्हें कई तरह के रोगों से बचाता है. इसे बायोफंगीसाइड या जैविक फफूंदनाशी कहा जाता है. बीते कुछ वर्षों से केमिकल्स इस्तेमाल बढ़ने से मिट्टी में इसकी मौजूदगी घटी है. इसलिए किसानों को अब इसे अलग से डालने की जरूरत पड़ रही है.
75 फीसदी छूट पर बिक्री करा रही यूपी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल को लेकर अपडेट जारी किया है, जिसमें बताया है कि ट्राइकोडर्मा वास्तव में कवक (fungus) की एक प्रजाति है जो प्राकृतिक रूप से मिट्टी और पौधों के जड़ क्षेत्र में पाई जाती है. यह एक बायो कंट्रोल एजेंट के रूप में काम करता है, जो हानिकारक फफूंदों को नष्ट करता है. कृषि रक्षा इकाइयों पर 75 फीसदी अनुदान के साथ इसे मात्र 25 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचा जा रहा है.
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25 रुपये से अधिक दाम मांगने पर विक्रेता पर होगी कार्रवाई
सरकारी कृषि रक्षा इकाइयों के अलावा किसान सरकारी खाद-बीज और कीटनाशक बिक्री केंद्रों से भी ट्राइकोडर्मा को खरीद सकते हैं. राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कीटों-रोगों से उनकी फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए छूट पर ट्राइकोडर्मा की बिक्री की जा रही है. किसान 25 रुपये प्रति किलो से ज्यादा कीमत किसी भी अधिकृत विक्रेता को न दें. अधिक दाम मांगे जाने पर नजदीकी जिला कृषि कार्यालय में शिकायत दर्ज कराएं. विक्रेता पर कार्रवाई की जाएगी.

कृषि विभाग ने किसानों को ट्राइकोडर्मा इस्तेमाल करने की सलाह दी है.
ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल कैसे करें
- कृषि विभाग के अनुसार ट्राइकोडर्मा एक तरह का पाउडर होता है और इसे बीज उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति किलो बीज में मिलाकर बोने से पहले सुखा लें.
- खेत की मिट्टी के उपचार के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. किसान 5 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर 7 दिन तक ढककर रखें, फिर खेत में डालें.
- पौधों की जड़ों को मजबूत करने के लिए उपचार के तौर भी इस्तेमाल किया जाता है. पौधों की जड़ों को 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति लीटर पानी के घोल में 30 मिनट तक डुबोकर लगाएं.
ट्राइकोडर्मा इस्तेमाल से किसानों को क्या फायदा होगा
- फसलें मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षित रहती हैं. किसानों को जड़ गलन, तना गलन, विल्ट आदि से छुटकारा मिल जाएगा.
- किसानों का रासायनिक फफूंदनाशक दवाओं पर खर्च घटता है.
- मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और फसलों को लाभ पहुंचाने वाले सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं.
- फसल तेजी से बढ़ती है और उपज के साथ ही क्वालिटी में सुधार होता है.