तंबाकू किसानों की आमदनी खतरे में, सरकार से समान नियम और पारदर्शिता की मांग

गैर-एफसीवी तंबाकू किसानों की आमदनी पर संकट बना हुआ है. विदेशी कंपनियों की चालबाजी और बाजार असंतुलन से नुकसान बढ़ा है. किसान सभी तंबाकू पर समान नियम और पारदर्शी प्रणाली की मांग कर रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 9 Oct, 2025 | 03:31 PM

Tobacco Farmers : तंबाकू की खेती करने वाले लाखों किसानों की कमाई इस समय जोखिम में है. ऐसा नहीं कि उन्होंने मेहनत कम की, बल्कि बाजार की असमान स्थिति और विदेशी कंपनियों की चालबाजी ने उनकी आय पर संकट ला दिया है. कई बड़े मल्टीनेशनल कंपनियां किसानों को पहले आकर्षक कीमतें दिखाकर तंबाकू उगाने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन बाद में वे अपने फायदे के लिए किसानों को छोड़ देती हैं. परिणामस्वरूप, गैर-एफसीवी तंबाकू किसानों को भारी नुकसान हुआ और उनकी आमदनी पर खतरा मंडरा रहा है. इसी मुद्दे पर FAIFA (फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन्स) ने नई दिल्ली में एक विशेष सेमिनार आयोजित किया, जिसमें किसानों, विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने मिलकर समाधान पर चर्चा की.

किसान मांग रहे समान नियम सभी तंबाकू के लिए

सेमिनार में किसानों ने जोर देकर कहा कि सभी प्रकार की तंबाकू पर समान नियम लागू होने चाहिए. वर्तमान में, सिर्फ एफसीवी (Virginia) तंबाकू पर सरकार और टबैको बोर्ड के द्वारा नियमन होता है. गैर-एफसीवी तंबाकू के किसानों के पास कोई नियमन नहीं है, जिससे उन्हें कीमतों और बाजार में भारी असमानता का सामना करना पड़ रहा है. किसान नेताओं का कहना था कि यदि एक ही प्लेटफॉर्म और नीति सभी प्रकार की तंबाकू पर लागू हो, तो उत्पादन और मांग में संतुलन बना रहेगा और किसानों को उचित दाम मिलेंगे.

विदेशी कंपनियों के कारण किसानों की आमदनी पर खतरा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई मल्टीनेशनल कंपनियां किसानों को ग्लोबल डिमांड और ऊंची कीमतों का लालच देकर तंबाकू की खेती  के लिए प्रेरित करती हैं. शुरुआत में किसान को आकर्षक कीमतें दी जाती हैं, लेकिन बाद में कंपनियां किसानों पर दबाव डालकर बाजार से हट जाती हैं. इस वजह से गैर-एफसीवी तंबाकू की अधिक आपूर्ति हो जाती है और किसानों के पास बेचने के लिए पर्याप्त बाजार नहीं रहता, जिससे उनका नुकसान बढ़ता है. 2025 में गैर-एफसीवी तंबाकू की अधिक पैदावार के कारण किसानों को लगभग 5500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

गैर-एफसीवी तंबाकू पर नियमन की जरूरत

सेमिनार में विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि गैर-एफसीवी तंबाकू को एफसीवी तंबाकू की तरह नियमन की आवश्यकता है. यह किसान को मूल्य स्थिरता और बाजार में पारदर्शिता देगा. गैर-एफसीवी तंबाकू मुख्यत- बीड़ी, च्युइंग तंबाकू और गुटखा बनाने में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसका कोई औपचारिक बिक्री या नियंत्रण तंत्र नहीं है. इसलिए किसान असुरक्षित रहते हैं और बाजार में कीमतें अनियमित होती हैं.

सरकार और टबैको बोर्ड की पहल

टबैको बोर्ड के अध्यक्ष, यशवंत कुमार ने बताया कि एफसीवी नीलामी मॉडल दुनिया में पारदर्शिता का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि गैर-एफसीवी तंबाकू के लिए पायलट योजना  और नीति रोडमैप तैयार किया गया है. इसमें कीमत, उत्पादन और किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचा होगा. उन्होंने यह भी बताया कि HDBRG, Rustica और Lal Chopadia जैसी गैर-एफसीवी तंबाकू की अधिक पैदावार के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ. यदि पहले से उत्पादन और मांग की निगरानी होती, तो 2025 में इस नुकसान से बचा जा सकता था.

नई तकनीक और ई-सिगरेट से मांग घट रही

सेमिनार में यह भी चर्चा हुई कि नई तकनीक और ई-सिगरेट जैसी उत्पादों की बढ़ती मांग पारंपरिक तंबाकू की मांग  को कम कर रही है. फार्मर्स अब नहीं जानते कि उनके पारंपरिक तंबाकू की भविष्य में कितनी मांग होगी. इन नए उत्पादों में कम तंबाकू या सिंथेटिक निकोटिन इस्तेमाल होता है, जिससे पारंपरिक तंबाकू की बिक्री प्रभावित हो रही है. किसानों को भविष्य की योजना बनाने में कठिनाई आ रही है और रोजगार पर असर पड़ रहा है.

किसानों की मांग-एक ही नीति, एक प्लेटफॉर्म

FAIFA के महासचिव, मुरली बाबू ने कहा कि हम किसी सब्सिडी की नहीं, बल्कि एक स्थिर और पारदर्शी प्रणाली की मांग कर रहे हैं. किसान चाहते हैं कि सभी तंबाकू किसान, चाहे एफसीवी हों या गैर-एफसीवी, समान बाजार और उचित कीमत प्राप्त करें. उन्होंने सरकार से National Tobacco Crop Regulatory Framework बनाने का आग्रह किया, ताकि उत्पादन, मूल्य और बिक्री सभी प्रकार की तंबाकू के लिए नियंत्रित हों. इससे किसान को सुरक्षित आमदनी मिलेगी और बाजार में असंतुलन कम होगा.

विशेषज्ञ और नेताओं ने साझा की रणनीतियां

सेमिनार में कई विशेषज्ञ और किसान नेता मौजूद थे, जिनमें Dr. U. Sreedhar (CTRI), Mr. Vipinchandra R. Patel (CIFA) और किसान नेता शंकर नारायण रेड्डी और विक्रमराज उर्स शामिल थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि एकीकृत नियमन और सही जानकारी के बिना, किसानों को बार-बार नुकसान उठाना पड़ता है.
अधिकारियों ने गैर-एफसीवी तंबाकू पर नियंत्रण और योजना बनाने के लिए रणनीति साझा की, ताकि किसानों को भविष्य में न्यायपूर्ण मूल्य और स्थिरता मिल सके. सेमिनार के अंत में यह निष्कर्ष निकला कि समान नीति और नियमन ही किसानों की सुरक्षा और तंबाकू उद्योग के स्थिर भविष्य की कुंजी है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%