काला भेड़िया, भालू और गुलदार के बाद तेंदुआ.. अपना गला बचाने के लिए कटीले कॉलर पहन रहे किसान

Human Animal Conflict: किसान खेतों में काम करते समय खुद को जानलेवा तेंदुए के हमलों से बचाने के लिए स्पाइक वाले कॉलर पहनते हैं. इलाके में कई तेंदुए खुलेआम घूम रहे हैं और अब तक एक बच्चे, किशोर और बुजुर्ग को तेंदुए हमला कर मार चुके हैं. कई गांववालों ने दहशत में अपने खेतों पर जाना ही छोड़ दिया है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 22 Nov, 2025 | 02:31 PM

उत्तर प्रदेश के बहराइच में काले भेड़िये का आतंक किसी से छिपा नहीं है. जबकि, बिजनौर में गुलदार के हमलों ने किसानों को बहुत परेशान किया. उत्तराखंड में इन दिनों भालू के हमलों को रोकने के लिए से प्रशासन पूरा जोर लगाए है. वहीं, महाराष्ट्र के पुणे में तेंदुआ के हमलों से किसानों की बेचैनी बढ़ी हुई है. परेशान किसान अपनी जान बचाने के लिए गले में कटीले तारों वाला कॉलर (पट्टा ) पहनकर खेतों में काम करने जा रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में उपजीं मानव-पशुओं के टकराव ने चिंता बढ़ा दी है.

किसानों ने बताया क्यों पहन रहे कटीला पट्टा

महाराष्ट्र के पुणे में पिंपरखेड़ गांव के लोग खेतों में काम करते समय खुद को जानलेवा तेंदुए के हमलों से बचाने के लिए स्पाइक वाले कॉलर पहनते हैं. क्योंकि, तेंदुआ जब हमला करता तो वह गर्दन को पकड़ता है अगर गर्दन उसकी पकड़ में आ गई तो आदमी का बच पाना नामुमकिन है. इलाके में कई तेंदुए खुलेआम घूम रहे हैं, इसलिए इलाके में बार-बार होने वाले हमलों की वजह से गांव वालों को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार किसान विट्ठल रंगनाथ जाधव ने किसानों की हालत बताते हुए कहा कि तेंदुए कभी भी खेतों में घुस सकते हैं, इसलिए वे बचाव के लिए स्पाइक वाले कॉलर पहन रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरा गांव डर में जी रहा है और सरकार से उनकी सुरक्षा पक्का करने के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील की.

तेंदुए के हमले से मां की मौत के सदमे से उबर नहीं पा रहे किसान रंगनाथ

किसान विट्ठल रंगनाथ जाधव ने कहा कि हम तेंदुए की वजह से गले में ये कॉलर पहन रहे हैं. तेंदुए कभी भी यहां आ जाते हैं. हमें खुद को बचाना है. इसीलिए हम ये पहनते हैं. खेती ही हमारी कमाई का एकमात्र जरिया है. हम तेंदुए के हमले के डर से घर पर नहीं बैठ सकते. हमें हर दिन एक तेंदुआ दिखता है. एक महीने पहले, मेरी मां एक तेंदुए का शिकार हो गई थीं. उनसे पहले, एक छोटी लड़की को तेंदुए ने मार डाला था. मेरी मां सुबह 6 बजे हमारे जानवरों को चारा खिलाने के लिए बाहर निकली थीं, और तभी तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया. वह मेरी मां को लगभग एक किलोमीटर तक गन्ने के खेतों में घसीटता हुआ ले गया. गांव में हर कोई बहुत डरा हुआ है.

समूह बनाकर खेत जा रहे, कई ग्रामीणों ने खेत पर जाना बंद किया

गांव लोगों ने कहा कि तेंदुए के हमलों ने रोजमर्रा की जिंदगी पर काफी असर डाला है. गांव वाले अब सुरक्षा के लिए ग्रुप में खेती करने जाते हैं, और स्कूल का समय भी फिर से सोचा जा रहा है, शायद सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बदला जा सकता है. एक ग्रामीण ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है, लोग ग्रुप में खेती करने आते हैं, उनकी गर्दन पर लोहे के नुकीले कॉलर पहने होते हैं. हालत खराब है. कई लोग तो यहां खेती करने भी नहीं आते हैं.

छोटे बच्चे, किशोर और बुजुर्ग को तेंदुए ने मार डाला

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 12 अक्टूबर से हुए हमलों में एक 5 साल की लड़की, एक 82 साल की महिला और एक 13 साल के लड़के की जान चली गई, जिससे जुन्नार, शिरुर, अंबेगांव और खेड़ तालुका गांवों में लोगों में गुस्सा है. अधिकारियों ने बताया कि 5 नवंबर को पुणे जिले के पिंपरखेड़ गांव और आसपास के इलाकों में पिछले 20 दिनों में तीन मौतों के लिए जिम्मेदार एक आदमखोर तेंदुए को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और एक रेस्क्यू टीम ने मिलकर मार गिराया है.

pune farmers wearing spiked collars to protect themselves from leopard attack

व्यक्ति को कटीला पट्टा पहनाती महिला किसान और नीचे किसान रंगनाथ जाधव. (Video Grab- ANI)

अधिकारियों ने एक 5 साल के तेंदुए को मार डाला

फॉरेस्ट अधिकारियों ने बताया कि पुणे के कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट आशीष ठाकरे ने तेंदुए को मारने के लिए प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ) से मंजूरी ले ली थी. ऑपरेशन के लिए जानवरों के डॉक्टर डॉ. सात्विक पाठक और शार्पशूटर जुबिन पोस्टवाला और डॉ. प्रसाद दाभोलकर की एक खास टीम को लगाया गया था. अधिकारियों ने कहा कि कैमरा ट्रैप और थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. तेंदुआ घटनास्थल से करीब 400-500 मीटर दूर देखा गया. एक ट्रैंक्विलाइज़र डार्ट मिसफायर हो गया, जिसके बाद वह टीम पर झपटा, जिससे शार्पशूटरों को रात करीब 10.30 बजे गोली चलानी पड़ी,” उन्होंने यह भी बताया कि जानवर करीब 5-6 साल का था.

तेंदुए की लाश को गांववालों को दिखाया गया, फिर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए मानिकदोह लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर भेजा गया. यह ऑपरेशन सीनियर फॉरेस्ट अधिकारियों की देखरेख में लोकल गांववालों की मदद से किया गया. लेकिन, फिर से इलाके में कई तेंदुओं के देखे जाने की सूचना से दहशत फैली हुई है.

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Published: 22 Nov, 2025 | 02:18 PM

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