Dairy Farming : डेयरी फार्मिंग आज सिर्फ ग्रामीण नहीं बल्कि शहरी इलाकों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. लोग अब नौकरी के साथ-साथ पशुपालन करके अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं. ऐसे में अगर आप डेयरी व्यवसाय में अच्छे मुनाफे की सोच रहे हैं, तो अच्छी नस्ल की भैंस और उसके दूध की जानकारी होना बहुत जरूरी है. कर्नाटक की धारवाड़ी भैंस (Dharwadi Buffalo) इस मामले में काफी प्रसिद्ध है. इसकी दूध से बनी मिठाइयों को अब GI Tag भी मिल चुका है. आइए जानते हैं धारवाड़ी भैंस की खूबियों और पालन के तरीके.
धारवाड़ी भैंस के दूध से बनी मिठाई को मिला GI Tag
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार धारवाड़ी भैंस का दूध सिर्फ आम दूध नहीं है, बल्कि इससे बनी मिठाइयों को अब GI Tag मिल चुका है. इस टैग के साथ तैयार मिठाइयों में सबसे प्रसिद्ध है धारवाड़ी पेड़ा. GI Tag मिलने से इसका नाम देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गया है. इस भैंस के दूध की मिठाइयों की गुणवत्ता और स्वाद के लिए विशेष पहचान बनाई गई है.
धारवाड़ी भैंस का इतिहास और विस्तार
धारवाड़ी भैंस का पालन पुराने समय से कर्नाटक में हो रहा है. पहले यह केवल बगलकोट, बेलगाम, धारवाड़, गड़ग और बेल्लारी जिलों में ही पाई जाती थी. धीरे-धीरे इसे अन्य राज्यों में भी लाया गया और आज इसकी पहचान पूरे देश में बन चुकी है. पशुपालक इस भैंस के दूध और उससे बनी मिठाइयों से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.
दूध उत्पादन और पाड़ा की खासियत
धारवाड़ी भैंस मध्यम आकार की काली नस्ल की होती है और मुख्य रूप से दूध के लिए पाली जाती है. यह भैंस प्रतिदिन औसतन 3.24 किलो दूध देती है और पूरे साल का औसत दूध उत्पादन 972 किलो तक होता है. इसकी बछड़ियां 17-20 महीने में तैयार हो जाती हैं, और वे भी जल्द ही दूध देने लगती हैं.

GI Tag
धारवाड़ी दूध और मिठाइयां
धारवाड़ी भैंस का दूध स्वादिष्ट, मोटा और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इस दूध से बनने वाली मिठाइयां जैसे धारवाड़ी पेड़ा GI Tag प्राप्त हैं. यह मिठाई देश-विदेश में खूब लोकप्रिय है. यदि आप डेयरी व्यवसाय में इस भैंस को पालते हैं तो मिठाई और दूध के व्यापार से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पालन और देखभाल के टिप्स
धारवाड़ी भैंस कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए भी अच्छी तरह अनुकूल है. इसे संतुलित आहार, हरे और सूखे चारे, प्रोटीनयुक्त खुराक और स्वच्छ पानी दिया जाना चाहिए. बाड़े को साफ रखना और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना भी जरूरी है. उचित देखभाल से भैंस स्वस्थ रहती है और अधिक दूध देती है.
डेयरी व्यवसाय में फायदे
धारवाड़ी भैंस के पालन से न केवल दूध और मिठाई का उत्पादन बढ़ता है बल्कि मुनाफा भी दोगुना हो सकता है. इसकी लोकप्रियता, GI Tag के कारण, बाजार में इसका दाम भी अधिक मिलता है. छोटे और बड़े दोनों तरह के डेयरी फार्मिंग व्यवसायी इस नस्ल से लाभ उठा सकते हैं.