BS6 Tractor: सरकार अगले साल 1 अप्रैल 2026 से ट्रैक्टरों में बीएस-6 इंजन लागू करने जा रही है. इस कदम से प्रदूषण में कमी आएगी और पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. हालांकि, इससे ट्रैक्टरों की कीमतों में 2 से 2.5 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है. किसान संगठनों ने इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि पहले ही कृषि उपकरण महंगे हैं और अब कीमतें और बढ़ने से किसानों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा.
किसानों और कंपनियों का विरोध
किसान संगठन सरकार से मांग कर रहे हैं कि बीएस-6 इंजन की लागू तिथि को स्थगित किया जाए. उनका कहना है कि ट्रैक्टर खरीदना पहले ही किसानों के लिए एक बड़ा खर्च है, और नए इंजन से यह और महंगा हो जाएगा. वहीं, अधिकतर ट्रैक्टर निर्माण कंपनियां भी इस नई तकनीक को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि उनके पास बीएस-6 इंजन लगाने के लिए पर्याप्त मैनपावर और तकनीक उपलब्ध नहीं है.
पिछले साल देश में लगभग 10 लाख ट्रैक्टरों की बिक्री हुई थी. फिलहाल 50 हॉर्स पावर से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टरों में बीएस-4 इंजन लगा हुआ है. बीएस-3ए से बीएस-4 इंजन लागू होने पर ट्रैक्टर की कीमत में 1 से 1.5 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हुई थी. इसी कारण किसान और कंपनियां बीएस-6 लागू करने के विरोध में हैं.
ट्रैक्टर कंपनियों की चुनौतियां
कंपनियों का कहना है कि केवल एक-दो बड़ी कंपनियों को छोड़ दें, तो ज्यादातर कंपनियों के पास बीएस-6 इंजन लगाने की तकनीक मौजूद नहीं है. साथ ही नए इंजन को अपनाने के लिए प्रशिक्षण और उत्पादन क्षमता की कमी भी एक बड़ी चुनौती है. बिना पर्याप्त संसाधनों और तकनीक के कंपनियां नए नियमों को समय पर लागू नहीं कर पाएंगी.
केंद्रीय मंत्री के सामने उठाई जाएगी मांग
किसान संगठनों और ट्रैक्टर कंपनियों ने फैसला किया है कि वे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे. फरवरी 2026 में उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण संस्थान के द्वारा आयोजित कृषि मेले में मंत्री मुख्य अतिथि होंगे. इस दौरान किसान और कंपनियों के प्रतिनिधि नए नियम के प्रभाव और आवश्यक बदलाव की मांग रखेंगे.
वहीं बीएस-6 इंजन लागू करने का उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित करना है, लेकिन इसके कारण ट्रैक्टर की कीमतें बढ़ने से किसानों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ेगा. किसानों और कंपनियों की मांग है कि सरकार नए नियम लागू करने से पहले तकनीक और बाजार की तैयारी सुनिश्चित करे, ताकि उद्योग और कृषि दोनों संतुलित रूप से आगे बढ़ सकें.