हिमाचल में सूखे जैसे हालात, गेहूं नहीं हो रहे अंकुरित.. किसानों की बढ़ी चिंता

धर्मशाला के खन्यारा इलाके के लोग इंद्रू नाग मंदिर में बारिश के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि उनकी फसलों के लिए बारिश  हो सके. कांगड़ा का मौसम कुछ उलझन में है. हाल ही में HPCA ने भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट मैच के लिए ईश्वर से शुभ मौसम की कामना की थी.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 24 Dec, 2025 | 06:11 PM
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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी में बीते कई दिनों से बारिश नहीं हुई है. इससे गेहूं किसानों की टेंशन बढ़ती जा रही है. किसानों का कहना है कि पूरे बीते सप्ताह आकाश में बादल रहने के बावजूद कांगड़ा घाटी में कोई बारिश नहीं हुई. अगर इस हफ्ते भी बारिश नहीं होती है तो सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. ऐसे में गेहूं की फसल सिंचाई के अभाव में बर्बाद हो सकती है. वहीं, किसान बारिश के अभाव में अभी तक गेहूं की सिंचाई भी नहीं कर पाए हैं. किसानों का कहना है कि नमी के अभाव में गेहूं अंकुरित नहीं हो रहे हैं.  इससे पैदावार पर असर पड़ेगा. ऐसे में किसानों ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार दो महीने से जारी यह सूखा मौसम जिले की कृषि को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. नवंबर, जो गेहूं की बुवाई का मुख्य महीना माना जाता है, बिना पर्याप्त बारिश के गुजर गया. अब दिसंबर के अंत में, विशेषकर अन सिंचाई वाले क्षेत्रों के किसान, बुवाई शुरू नहीं कर पा रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कांगड़ा के करीब 35,000 किसान गेहूं की खेती  के लिए बारिश पर निर्भर हैं. जिले में 92,000 हेक्टेयर गेहूं के लिए चिन्हित हैं, लेकिन आधे से भी कम क्षेत्र में ही बुवाई पूरी हो पाई है. जिन खेतों में थोड़ी नमी के साथ बीज बोए गए, वहां अंकुरण नहीं हुआ, जिससे फसल कमजोर हो गई और खेत सूखे रह गए हैं.

बारिश के लिए प्रार्थना कर रहे किसान

धर्मशाला के खन्यारा इलाके के लोग इंद्रू नाग मंदिर में बारिश के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि उनकी फसलों के लिए बारिश  हो सके. कांगड़ा का मौसम कुछ उलझन में है. हाल ही में HPCA ने भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट मैच के लिए ईश्वर से शुभ मौसम की कामना की थी, वहीं जिला प्रशासन अब कांगड़ा कार्निवल (24 से 31 दिसंबर) के लिए बिना बारिश के मौसम की प्रार्थना कर रहा है.

किसान नहीं कर पा रहे गेहूं की बुवाई

दिलचस्प बात यह है कि एक ओर प्रशासन साफ आसमान की कामना कर रहा है, वहीं हजारों किसान उसी देवता से बारिश की प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि रबी फसल बचाई जा सके. लंबे सूखे के कारण गेहूं की बुवाई रुकी हुई है और किसान समय पर बारिश की उम्मीद  लगाए आसमान की ओर देख रहे हैं. इंद्रू नाग, जो इस इलाके में बारिश के देवता माने जाते हैं, अब दो तरह की प्रार्थनाओं के केंद्र में हैं. एक समूह कार्निवल और खेलों के लिए सुखद मौसम चाहता है, जबकि दूसरा कृषि और आजीविका बचाने के लिए बारिश की प्रार्थना कर रहा है.

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Published: 24 Dec, 2025 | 04:27 PM

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