गन्ना फसल को चौपट कर सकता है लाल सड़न रोग, पढ़ें यूपी कृषि विभाग ने किसानों से क्या कहा

मुरादाबाद जिले के कृषि अधिकारी डॉ. राजेन्द्रपाल सिंह ने लाल सड़न रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए किसानों को कुछ सुझाव दिए हैं. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे गन्ने की बुवाई के लिए उन्नत क्वालिटी की रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चुनाव करें.

नोएडा | Published: 2 Sep, 2025 | 02:35 PM

देश में किसान गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. मॉनसून सीजन में ज्यादातर किसानों की गन्ने की फसल खेतों में खड़ी हो चुकी है. ये समय गन्ने की फसल के लिए बेहद ही संवेदनशील है. आमतौर पर बारिश गन्ने की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण गन्ने की फसल में कीटों और रोगों का संक्रमण बढ़ने लगता है. वर्तमान में देखा जा रहा है कि ज्यादातर गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग का खतरा बढ़ गया है. बता दें कि, लाल सड़न को गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कृषि अधिकारी ने किसानों को लाल सड़न रोग से गन्ने की फसल को बचाने की सलाह दी है.

लाल सड़न रोग के लक्षण

लाल सड़न रोग को गन्ने की फसल में लगने वाला सबसे खतरनाक रोग कहा जाता है, इस कारण से ये गन्ने का कैंसर कहताला है. यह रोग कोलेटोट्राइकम फलकेटम नामक फफूंद के कारण गन्ने की फसल में फैलता है. इसके लक्षण फसल लगने के शुरुआती दौर यानी जुलाई से अगस्त के बीच में ही दिखने लगते हैं और फसल के आखिर तक दिखाई देते हैं. इस रोग का लक्षण ये है कि जिस गन्ने में इसका प्रभाव होता है उसकी तीसरी से चौथी पत्तियां एक या फिर दोनों किनारों से सूखने लगती हैं और आगे जाकर सभी पत्तियां धीरे-धीरे सूखने लगती हैं. इसका एक लक्षण ये भी है कि अगर किसान गन्ने को लंबाई में बीच से काटते हैं तो इसके तने का गूदा लाल रंग का दिखाई देता है, जिसमें सफेद धब्बे दिखाई पड़ते हैं.

Sugarcane Farming

लाल सड़न रोग से खराब होती है गन्ने की फसल (Photo Credit- Canva)

पत्तियों पर पड़ जाते हैं भूरे रंग के धब्बे

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग  की ओर जारी सलाह में मुरादाबाद जिले के कृषि अधिकारी डॉ. राजेन्द्रपाल सिंह ने बताया कि कई बार लाल सड़न रोग के कारण गन्ने से सिरके की गंध आने लगती है और गन्ना आसानी से बीच से टूट जाता है. इसके अलावा कई बार गन्ने की पत्तियों के बीच के हिस्से पर लाल रंग के धब्बे दिखने लगते हैं जो कि आगे जाकर पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं. कभी-कभी भूरे लाल रंग के धब्बे भी देखने को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि गन्ने में ये रोग मुख्य रूप से संक्रमित मिट्टी और संक्रमित बीजों के माध्यम से फैलता है.

किसानों को दी गई सलाह

मुरादाबाद जिले के कृषि अधिकारी डा. राजेन्द्रपाल सिंह ने लाल सड़न रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए किसानों को कुछ सुझाव दिए हैं. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे गन्ने की बुवाई के लिए उन्नत क्वालिटी की रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चुनाव करें. इन किस्मों में सीओ-85, एलके-94184 आदि शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अगर किसानों को गन्ने के किसी बीज के कटे हुए सिरे अथवा गांठों पर लाल रंग दिखे तो उन बीजों के सेट का इस्तेमाल न करें. सबसे पहले गन्ने की फसल से प्रभावित पौधों को अलग हटाकर नष्ट कर दें. साथ ही जिस खेत में रोग लगा है उसकी मेड़ बन्द कर दें ताकि पास के खेत में उस खेत का पानी न जाए.

दवाओं का करें इस्तेमाल

लाल सड़न रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे दवाओं का इस्तेमाल करें. कार्बेडाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 1.5 से 2.0 किलोग्राम मात्रा और कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2.5 से 3.0 किलोग्राम मात्रा को 1 हजार लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें. इसके अलावा ट्राइकोडर्मा विरडी की 2.5 से 5.0 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.

Published: 2 Sep, 2025 | 02:35 PM