Dairy Farming : ग्रामीण भारत में पशुपालन लाखों किसानों की रोजी-रोटी का मजबूत आधार है. खेतों के काम के साथ-साथ गाय, भैंस या बकरी जैसे दुधारू पशुओं की देखभाल करना किसानों के लिए हमेशा बड़ी जिम्मेदारी रही है. हर किसान चाहता है कि उसका पशु स्वस्थ रहे और अधिक दूध दे, ताकि घर की आमदनी अच्छे से चल सके. लेकिन कई बार थोड़ी-सी लापरवाही दूध उत्पादन को कम कर देती है और कमाई पर असर पड़ता है. अच्छी बात यह है कि अगर किसान कुछ जरूरी चीजों का ध्यान रख लें, तो दूध उत्पादन तेजी से बढ़ सकता है और पशु लंबे समय तक फिट रह सकते हैं.
साफ-सफाई और ताजा चारा-दूध बढ़ाने की पहली कुंजी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसान चाहे छोटे स्तर पर पशुपालन करता हो या बड़े पैमाने पर, सबसे जरूरी बात है-साफ-सफाई. अगर पशु का बाड़ा साफ-सुथरा नहीं रहेगा, तो वह कमजोर हो सकता है और दूध उत्पादन अपने आप घट जाएगा. इसलिए किसान को रोजाना गोबर की सफाई, सूखे बिछावन और ताजी हवा का ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही ताजा हरा चारा, संतुलित दाना और खूब पानी देना बहुत जरूरी है. अगर चारा पुराना, गंदा या फफूंद लगा होगा, तो पशु का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. नियमित स्वास्थ्य जांच और समय पर टीकाकरण पशु को लंबे समय तक स्वस्थ रखते हैं, जिससे दूध लगातार अच्छा मिलता है.
मौसम के अनुसार देखभाल
मौसम बदलते ही पशुओं की देखभाल का तरीका भी बदलना चाहिए. गर्मी के दिनों में पशु को बार-बार ठंडे पानी से नहलाना, मक्खियों से बचाना और छायादार जगह पर रखना बेहद जरूरी है. इससे पशु तनाव में नहीं आता और दूध सही मात्रा में मिलता रहता है. वहीं सर्दियों में पशु को ठंड से बचाना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. ठंड लगने पर पशु खाना कम कर देता है, जिससे दूध भी कम होता है. ऐसे में पशु को गर्म बोरी या कपड़ा ओढ़ाना, हवा से बचाने वाली जगह पर बांधना और हल्का गुनगुना पानी पिलाना अच्छा रहता है. हर मौसम में एक बात सबसे ज्यादा जरूरी है-पशु को पर्याप्त पानी देना, इससे उसका शरीर एक्टिव रहता है और दूध बनने की क्षमता बढ़ती है.
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संतुलित आहार
दूध बढ़ाने का सबसे बड़ा आधार है-पोषण. अगर पशु को रोजाना संतुलित आहार नहीं मिलेगा, तो चाहे देखभाल कितनी भी अच्छी हो, दूध बढ़ नहीं सकता. किसानों को अपने पशु को दाने में दाल, तिलहन की खली और अन्य प्रोटीनयुक्त चीजें खिलानी चाहिए. इसके अलावा ज्वार, बाजरा, मक्का जैसे अनाज दाने में मिलाकर देने से पशु का शरीर मजबूत बनता है और दूध स्थिर मात्रा में मिलता है. संतुलित आहार न सिर्फ दूध बढ़ाता है बल्कि दूध की गुणवत्ता भी बेहतर बनाता है.
वसा (फैट) बढ़ाने वाले दाने
दूध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पशु के आहार में वसा की पूर्ति बेहद जरूरी है. इसके लिए किसान को तिल, लाही, सरसों, मूंगफली और अलसी जैसी खली को दाने में शामिल करना चाहिए. ये चीजें पशु के शरीर में ऊर्जा बनाकर रखती हैं और दूध को गाढ़ा बनाने में मदद करती हैं. अगर किसान नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में वसा वाला दाना खिलाएगा, तो दूध की मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता भी तेजी से बढ़ेगी.
खनिज और विटामिन-दूध बढ़ाने का सबसे मजबूत आधार
बहुत से किसान आहार में खनिज और विटामिन देना भूल जाते हैं, जबकि दूध बढ़ाने में इनका बड़ा योगदान होता है. दाने के साथ थोड़ी मात्रा में खनिज मिश्रण (Mineral Mixture) और विटामिन पाउडर मिलाकर देने से पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर मजबूत रहता है. इसके अलावा गेहूं का दलिया और चोकर भी दूध बढ़ाने में काफी मददगार माना जाता है. जब पशु पूरी तरह स्वस्थ रहेगा, तभी उसका दूध उत्पादन स्थिर और ज्यादा रहेगा.
पशु को तनाव से दूर रखें, दूध अपने आप बढ़ता है
दूध बढ़ाने का एक बड़ा नियम है-नियमिता. अगर दूध निकालने का समय रोज बदलता रहेगा, तो पशु तनाव में आ जाता है और दूध कम होने लगता है. इसलिए एक निश्चित समय तय करें और रोजाना उसी समय दूध निकालें. साथ ही दूध निकालते समय पशु को शांत रखें-धीरे-धीरे हाथ लगाएं, उसे प्यार से बुलाएं और दाना खिलाएं. जितना शांत पशु रहेगा, उतना ही ज्यादा और अच्छा दूध देगा.