Cattle Fever : सर्दी हो या गर्मी, अगर पशु बीमार पड़ जाए तो सबसे पहले असर दूध उत्पादन और पशुपालक की कमाई पर पड़ता है. कई बार गाय-भैंस बोल नहीं सकती, लेकिन उनका शरीर खुद ही बता देता है कि वह स्वस्थ हैं या नहीं. बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग और पशुपालन निदेशालय के अनुसार, पशुओं के शरीर का तापमान उनकी सेहत का सबसे बड़ा संकेत माना जाता है. अगर पशुपालक समय रहते तापमान की सही पहचान कर लें, तो बड़ी बीमारी से पहले ही बचाव संभव है.
पशुओं के स्वास्थ्य का पहला संकेत है शरीर का तापमान
बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के अनुसार, किसी भी दुधारू पशु का सामान्य शरीर तापमान 38 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. यह तापमान बताता है कि पशु का शरीर सामान्य रूप से काम कर रहा है. अगर तापमान इससे ज्यादा या कम हो जाए, तो यह किसी बीमारी की शुरुआत हो सकती है. कई पशुपालक सिर्फ दूध की मात्रा देखकर अंदाजा लगाते हैं, लेकिन असली पहचान तापमान से ही होती है.
कब और कैसे लें पशु का तापमान
विभाग के अनुसार, पशु का तापमान सुबह जल्दी या देर शाम और रात के समय लेना ज्यादा सही माना जाता है. इस समय मौसम का असर कम रहता है और सही रीडिंग मिलती है. तापमान लेने के लिए थर्मामीटर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे धीरे से पशु के शरीर में तय तरीके से लगाया जाता है. रोजाना या बीमारी के शक में तापमान लेना पशु की सेहत पर नजर रखने का आसान तरीका है.
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बुखार होने पर दिखते हैं ये साफ लक्षण
अगर पशु को बुखार होता है, तो उसके लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं. बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय के मुताबिक, बुखार में पशु की सांस तेज चलने लगती है और शरीर में कंपकंपी भी हो सकती है. कई बार पशु सुस्त हो जाता है, उठने-बैठने में आलस दिखाता है और जुगाली कम कर देता है. ये संकेत बताते हैं कि पशु अंदर से कमजोर हो रहा है.
शरीर गर्म, लेकिन कान-सींग ठंडे क्यों लगते हैं
बुखार की स्थिति में एक खास बात यह होती है कि पशु का शरीर छूने पर बहुत गर्म लगता है, लेकिन कान, सींग और पैर ठंडे महसूस होते हैं. पशुपालन विभाग के अनुसार, यह बुखार का अहम संकेत है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसी हालत में पशु को तुरंत अलग रखें, साफ पानी दें और नजदीकी पशु चिकित्सक से सलाह लें. समय पर इलाज मिलने से बड़ी बीमारी और नुकसान से बचा जा सकता है.
पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वे पशुओं की रोजाना निगरानी करें. शरीर का तापमान, जुगाली, भूख और चाल-ढाल पर ध्यान देकर पशुओं को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है. सही जानकारी और थोड़ी सी सतर्कता से पशुपालक अपने पशुओं और अपनी आमदनी-दोनों की रक्षा कर सकते हैं.