पशुओं में लंपी स्किन रोग तेजी से फैल रहा है और इसने कई मवेशियों को अपनी चपेट में ले लिया है. यह रोग इतना खतरनाक है कि इसे पशुओं के लिए कोरोना से भी ज्यादा डेंजर बताया जा रहा है. मवेशियों का खाना-पीना छूट रहा है और वे जमीन पर बैठ भी नहीं पा रहे हैं. अचानक बढ़ते इस खतरे से पशुपालकों के बीच हड़कंप मच गया है.
रोग के फैलने का तरीका
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह बीमारी मच्छर और मक्खियों के काटने से फैलती है. एक संक्रमित पशु से दूसरे पशु में संक्रमण बहुत तेजी से पहुंच जाता है. यही कारण है कि थोड़े समय में ही दर्जनों मवेशी इसकी चपेट में आ जाते हैं. पशुपालन विभाग ने इस खतरे को देखते हुए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया है और लगातार पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है.
पहचान कैसे करें लंपी रोग को?
विशेषज्ञों का कहना है कि मवेशियों की चमड़ी पर गांठें बनने लगें तो यह लंपी रोग का पहला संकेत होता है. इसके बाद पशु का खानपान कम हो जाता है या कई बार वे बिल्कुल खाना छोड़ देते हैं. बीमारी बढ़ने पर तेज बुखार, आंख और नाक से पानी आना शुरू हो जाता है. दूध देने वाले पशुओं में उत्पादन तेजी से घट जाता है. इतना ही नहीं, कई मवेशी कमजोरी के कारण बैठने की बजाय खड़े ही रह जाते हैं.
बचाव के घरेलू उपाय
विशेषज्ञों की मानें तो इस रोग से बचाव के लिए पशुओं की रहने की जगह को मच्छरों और मक्खियों से सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. इसके लिए पशुपालक अपने पशुशाला में नीम के पत्तों को जलाकर धुंआ कर सकते हैं. इसके अलावा मवेशियों के शरीर पर नीम का तेल लगाने से भी काफी राहत मिलती है. यह उपाय मक्खी और मच्छर को पास नहीं आने देता और संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाती है.
कितने दिनों में हो सकता है इलाज?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर समय पर सही इलाज मिल जाए तो मवेशी 4 से 5 हफ्ते में पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं. हालांकि इस दौरान उन्हें बाकी स्वस्थ मवेशियों से अलग रखना जरूरी है. सामूहिक चराई से बचना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है. साथ ही बीमार पशु के पास दूसरे पशुओं को चारा-पानी देना भी खतरनाक साबित हो सकता है.
पशुपालकों को क्या करना चाहिए?
पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वे अपने मवेशियों की नियमित जांच कराएं और किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. बीमार पशु को अलग जगह पर रखें और उसके खाने-पीने की विशेष देखभाल करें. इसके साथ ही सफाई पर ध्यान देना भी बेहद जरूरी है. रोग से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण कराना सबसे असरदार तरीका माना जाता है.