Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) ने दूध वितरण व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. अब सांची का दूध तय समय और तय मात्रा में हर उपभोक्ता तक पहुंचे, इसके लिए कर्मचारियों की ड्यूटी और गतिविधियों पर मोबाइल ऐप से निगरानी रखी जाएगी. यह कदम उपभोक्ताओं की सुविधा और डेयरी प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है.
दूध वितरण में समय पर डिलीवरी की गारंटी
अब तक कई बार उपभोक्ताओं को दूध देर से मिलने या वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें मिलती थीं. इस नई व्यवस्था के बाद देरी या लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. मोबाइल ऐप पर कर्मचारियों की गतिविधियों की रिपोर्ट सीधे ऑफिस तक पहुंचेगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर उपभोक्ता को समय पर ताजा दूध और उससे बने उत्पाद मिलें.
मोबाइल ऐप से जुड़ेगी पूरी टीम
एमपीसीडीएफ ने तय किया है कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर जैसे बड़े जोनों में यह व्यवस्था लागू होगी. इसके तहत करीब 500 कर्मचारी रोजाना ऐप में लॉगिन करेंगे. सुबह काम शुरू करने से पहले वर्क स्टार्ट करना होगा और दिनभर की पूरी गतिविधि जीपीएस आधारित लाइव लोकेशन के जरिए ट्रैक होगी. काम खत्म करने के बाद ‘वर्क एंड’ पर क्लिक कर रिपोर्ट ऑफिस भेजनी होगी.
जीपीएस और लाइव फोटो से निगरानी
इस ऐप के जरिए कर्मचारियों की लाइव लोकेशन हर समय ट्रैक होगी. वे जहां-जहां जाएंगे, नक्शे पर उनकी स्थिति दिखाई देगी. साथ ही, जिस दुकान या डेयरी पर वे जाएंगे, वहां की लाइव तस्वीर अपलोड करनी होगी. अगर कहीं दूध या अन्य उत्पाद की कमी है, तो तुरंत उसकी जानकारी ऐप पर देनी होगी. इससे उपभोक्ताओं तक उत्पादों की उपलब्धता समय पर सुनिश्चित होगी.
अधिकारियों पर भी लागू होगी यह व्यवस्था
यह सिस्टम सिर्फ दूध वितरण करने वाले कर्मचारियों पर ही नहीं, बल्कि खरीद और बिक्री विभाग के कर्मचारियों पर भी लागू होगा. यहां तक कि अधिकारी वर्ग को भी बताना होगा कि वे दिनभर किन दुकानों, डिस्ट्रीब्यूटर्स और डेयरियों से मिले. अगर किसी जगह उत्पाद नहीं मिला, तो उसकी जानकारी और तस्वीर तुरंत अपलोड करनी होगी. इस तरह अब हर स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी.
मोबाइल ऐप की खास सुविधाएं
इस मोबाइल ऐप में कई सुविधाएं जोड़ी गई हैं-
- फील्ड रिपोर्टिंग:- कर्मचारियों की रोजाना, हफ्तावार और माहवार गतिविधियों की रिपोर्ट ऑफिस तक जाएगी.
- जीपीएस ट्रैकिंग:- पूरे दिन की मूवमेंट का पुराना रिकॉर्ड और लाइव स्थिति नक्शे पर देखी जा सकेगी.
- नया रिटेलर जोड़ना:- मौके से ही नए रिटेलर का विवरण दर्ज किया जा सकेगा.
- टीम मैनेजमेंट:- अधिकारियों को अपनी टीम की ड्यूटी तय करने, शेड्यूल सेट करने और प्रदर्शन देखने की सुविधा होगी.
- किमी ट्रैकिंग:- यात्रा भत्ता के दावों के लिए स्वचालित दूरी माप हो सकेगा.
- कस्टम सर्वे:- जरूरत पड़ने पर तुरंत सर्वे फॉर्म भेजने की सुविधा भी उपलब्ध होगी.
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी
इस व्यवस्था से हर कर्मचारी और अधिकारी रडार पर होंगे. अगर कहीं गड़बड़ी हुई तो तुरंत एक्शन लिया जा सकेगा. इससे जहां उपभोक्ता को समय पर दूध मिलेगा, वहीं डेयरी प्रबंधन में भी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी. एमपीसीडीएफ का मानना है कि यह कदम भविष्य में डेयरी के कामकाज को और प्रोफेशनल बनाएगा और उपभोक्ताओं का भरोसा भी बढ़ाएगा.
एमओयू और भविष्य की दिशा
यह पूरी व्यवस्था दरअसल 30 जुलाई 2024 को एमपी सरकार, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मप्र स्टेट डेयरी फेडरेशन के बीच हुए एमओयू का हिस्सा है. तय हुआ था कि डेयरी की कार्यप्रणाली का अध्ययन कर सुधार लागू किए जाएंगे. अगस्त में राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड की टीम ने भोपाल और अन्य शहरों का दौरा कर रिपोर्ट तैयार की थी. माना जा रहा है कि आगे चलकर बोर्ड सीधे सांची ब्रांड के अधिग्रहण की दिशा में भी कदम बढ़ा सकता है.
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