Cyclone Montha: मोंथा तूफान से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. बात अगर आंध्र प्रदेश की करें तो एसपीएसआर नेल्लोर और प्रकाशम जिलों में भारी तबाही मची है. नेल्लोर में औसतन 128 मिमी और प्रकाशम में 180 मिमी बारिश दर्ज की गई. शुरुआती अनुमान के मुताबिक, दोनों जिलों में 53,000 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि जलमग्न हो गई, जिससे फसलें बर्बाद हो गईं. प्रकाशम जिले के कृषि अधिकारी श्रीनिवास राव ने कहा कि 12,418 किसान प्रभावित हुए हैं. जिले के 178 गांवों में करीब 10,274 हेक्टेयर में कपास, बाजरा और धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है.
नेल्लोर की कृषि अधिकारी पी. सत्यवाणी ने कहा कि 1,135 किसान फसल नुकसान से प्रभावित हुए हैं. जिले के 46 गांवों में 1,295 हेक्टेयर खेतों में कटाई के लिए तैयार धान की फसल पानी में डूब गई. अधिकारियों ने अब फसल नुकसान का आर्थिक आकलन शुरू कर दिया है. कृषि और राजस्व विभाग की टीमों ने खेतों का निरीक्षण कर नुकसान की रिपोर्ट तैयार की. आमतौर पर किसानों को मुआवजा तब दिया जाता है जब नुकसान 33 फीसदी से अधिक होता है.
अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा बैठक की
नेल्लोर कलेक्टर हिमांशु शुक्ला ने बुधवार को अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा बैठक की. उन्होंने निर्देश दिया कि अधिकारी तुरंत फील्ड विजिट करें और नुकसान की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करें. उन्होंने कहा कि बारिश थमने के बाद गांवों में स्वच्छता और संक्रमण की रोकथाम पर खास ध्यान दिया जाए. पुनर्वास केंद्रों में रह रहे लोगों की स्वास्थ्य जांच कराई जाए और जिन क्षेत्रों में सड़कें व पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनकी रिपोर्ट तैयार की जाए.
मुआवजा राशि बैंक खातों में भेजी जाए
वहीं, ओडिशा के उपमुख्यमंत्री सिंह देव ने कहा है कि मौजूदा धान कटाई के मौसम में भारी बारिश से फसल को नुकसान होने की आशंका है. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि मोंथा तूफान से प्रभावित जिलों में फसल नुकसान की रिपोर्ट तुरंत भेजी जाए. उन्होंने कहा कि पिछली बार हुए आपदाओं के दौरान सरकार ने सिर्फ सात दिनों में किसानों को मुआवजा राशि उनके बैंक खातों में भेजी थी और इस बार भी उतनी ही तेजी से राहत पहुंचाई जाएगी.
बुनियादी ढांचे की बहाली और किसानों की मदद
सिंह देव ने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढांचे की बहाली और किसानों की मदद, दोनों के लिए पूरी तैयारी कर ली है, ताकि चक्रवात का असर कम से कम हो. उन्होंने कहा, “अभी धान की फसल पक चुकी है और खेतों में खड़ी है. अगर भारी बारिश और तेज हवाओं से पौधे गिर गए, तो फसल सड़ने का खतरा है. इसलिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि चक्रवात थमने के बाद तुरंत फसल नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट भेजें.