Dhanteras 2025: हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दीवाली की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. दीवाली के 5 दिन के त्योहार का सबसे पहला दिन यानी धनतेरस धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के देवता भगवान धनवंतरी की पूजा को समर्पित होता है. धनतेरस के दिन मान्यताओं के अनुसार, लोग सोना-चांदी या बर्तन जरूर खरीदते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस मनाने के पीछे का असल कारण क्या है. क्या आप जानते हैं कि वास्तव में धनतेरस का धार्मिक और स्वास्थ्य से जुड़ी महत्व है. आइए जानते हैं कि, कौन है भगवान धनवंतरी और उनकी पूजा के बिन क्यों अधूरा है धनतेरस का त्योहार.
कौन हैं भगवान धनवंतरी
हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक और विष्णु का अवतार भी माना जाता है. कहते हैं कि, समुद्र मंथन के दौरान जब देवता और असुर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे तब भगवान धनवंतरी अमृत कलश और औषधियों से भरे पात्र के साथ प्रकट हुए थे. यही कारण है कि उन्हें आयुर्वेद का जनक कहा जाता है. बता दें कि, भगवान धनवंतरी चार हाथों वाले देवता हैं. ये अपने एक हाथ में शंख, दूसरे में चक्र, तीसरे में जलूका (जोंक) और चौथे हाथ में अमृत का कलश धारण किए रहते हैं. भगवान धनवंतरी इस बात का प्रतीक हैं कि जीवन में स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है.
धनतेरस पर धनवंतरी पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस का दिन भगवान धनवंतरी के जन्म के रूप में मनाया जाता है. इसलिए इस दिन केवल धन की ही नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की भी कामना की जाती है. कहते हैं कि इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा करने से शरीर के रोग, पीड़ा और मानसिक तनाव दूर होते हैं. इस दिन लोग शाम को घरों में दीप जलाकर भगवान धनवंतरी, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. पूजा करने के साथ ही धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. कहते हैं कि, धनतेरस के दिन जो लोग आयुर्वेद से जुड़ी वस्तुएं जैसे त्रिफला, तुलसी या घी आदि खरीदते हैं, उसे स्वास्थ्य लाभ जरूर मिलता है.
इस विधि से करें पूजन
भगवान धनवंतरी की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को गोमूत्र या गंगाजल से पवित्र करें. इसके बाद भगवान धनवंतरी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें. मूर्ति स्थापना के बाद भगवान को दीप जलाकर धूप, अक्षत, पुष्प, चंदन और तुलसी अर्पित करें. बता दें कि, इस दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाना शुभ माना जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में स्वास्थ्य व समृद्धि का वास होता है.