अक्टूबर आते ही रबी सीजन की शुरुआत हो गई है. इसके साथ ही किसान चना और गेहूं जैसी फसलों की बुवाई के लिए खेत को तैयार करने में जुट गए हैं. खास बात यह है कि अगले हफ्ते से कई राज्यों में गेहूं की बुवाई भी शुरू हो जाएगी. लेकिन कई बार मिट्टी जांच रिपोर्ट समय पर नहीं आती, जिससे किसानों को यह समझ नहीं आता कि खेत में कितनी खाद डालें. ऐसे में एक्सपर्ट्स ने सरल और सुरक्षित फार्मूला बताया है, जिसे अपनाकर किसान अपनी फसल को बिना किसी जोखिम के पोषण दे सकते हैं और उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
मिट्टी जांच रिपोर्ट नहीं आई? अपनाएं स्टैंडर्ड फॉर्मूला
किसान अक्सर मिट्टी जांच रिपोर्ट का इंतजार करते हैं और बुवाई में देरी हो जाती है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि रिपोर्ट न होने पर भी स्टैंडर्ड रिकमेंडेशन के अनुसार खाद डालने से पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल जाते हैं. प्रति एकड़ खेत में 48 किलो नाइट्रोजन, 24 किलो फास्फोरस और 16 किलो पोटाश देना पर्याप्त है. यह फॉर्मूला शुरुआती अवस्था में फसल की ग्रोथ को बनाए रखता है और उत्पादन पर कोई नकारात्मक असर नहीं डालता.
डीएपी के पीछे मत भागो, पोषक तत्व की जरूरत समझो
कई किसान सिर्फ डीएपी खरीदने में लगे रहते हैं, लेकिन पौधों को ब्रांड से फर्क नहीं पड़ता. पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश चाहिए होते हैं, जो किसी भी उर्वरक से मिल सकते हैं. इसलिए किसान अपनी उपलब्धता और जरूरत के हिसाब से खाद का संयोजन बना सकते हैं. अभी से खाद खरीदकर रखने से बाद में समय और पैसा दोनों बचेंगे.
अलग-अलग उर्वरकों के लिए आसान फॉर्मूला
फसल की सही वृद्धि और बेहतर उत्पादन के लिए खाद का संतुलित उपयोग बहुत जरूरी है. अगर किसान सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) का इस्तेमाल कर रहे हैं तो प्रति एकड़ 105 किलो यूरिया, 150 किलो SSP और 27 किलो पोटाश डालें. डीएपी उपयोग करने पर प्रति एकड़ 52 किलो डीएपी, 84 किलो यूरिया और 27 किलो पोटाश पर्याप्त होगा.
NPK (12:32:16) के लिए 75 किलो NPK, 85 किलो यूरिया और 60 किलो पोटाश डालें. 14:35:14 का इस्तेमाल कर रहे किसान 70 किलो 14:35:14, 82 किलो यूरिया और 10 किलो पोटाश डालें. वहीं 10:26:26 खाद के लिए 92 किलो 10:26:26 और 85 किलो यूरिया, 9 किलो पोटाश मिलाकर डालना चाहिए. यह फार्मूला फसल की सभी पोषण संबंधी जरूरतों को संतुलित रूप से पूरा करता है और शुरुआती चरण में पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व उपलब्ध कराता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है.
मिट्टी का उपचार भी जरूरी
फसल को स्वस्थ रखने के लिए सिर्फ खाद डालना ही पर्याप्त नहीं है. मिट्टी को भी तैयार करना जरूरी है. खेत की गहरी जुताई करें और जरूरत पड़ने पर गोबर की सड़ी खाद या जैविक उर्वरक मिलाएं. यह मिट्टी में पोषण बनाए रखता है और पौधों की जड़ों को मजबूत करता है.
बेहतर उत्पादन और मजबूत फसल
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह संतुलित फार्मूला अपनाने से फसल को आवश्यक पोषक तत्व समय पर मिल जाते हैं. मिट्टी जांच रिपोर्ट के बिना भी फसल अच्छी तरह बढ़ती है. किसान इस फॉर्मूले को अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकते हैं और लागत भी नियंत्रित रह सकती है. इसके अलावा यह तरीका आसान और सुरक्षित है, जिससे रबी सीजन में किसी तरह की चिंता नहीं रहेगी.