उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों के हित और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एक अनोखी पहल शुरू की है. अब राज्य के किसान अपनी पराली जलाने के बजाय उसे सरकार को देकर उसके बदले गोबर की खाद प्राप्त कर सकेंगे. इस योजना का उद्देश्य है खेतों की उर्वरता बढ़ाना, प्रदूषण घटाना और किसानों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना.
पराली से समस्या से समाधान की ओर कदम
हर साल फसल कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या बढ़ जाती है. इससे न सिर्फ हवा जहरीली होती है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब होती है. इसी समस्या का स्थायी समाधान निकालते हुए योगी सरकार ने एक पर्यावरण-मित्र योजना लागू की है. इसके तहत अब किसान अपनी खेतों की पराली को जलाने के बजाय नजदीकी गोशालाओं में जमा कर सकते हैं. बदले में उन्हें गोबर से बनी जैविक खाद (ऑर्गेनिक मैन्योर) दी जाएगी, जिससे वे अपनी फसलों में इस्तेमाल कर सकेंगे.
पशुपालन विभाग के अनुसार, पराली को गोशालाओं में पशुओं के बिछावन और आहार के रूप में भी उपयोग किया जाएगा. इससे गोशालाओं में स्वच्छता और पशुओं की सुविधा दोनों में सुधार होगा.
किसानों के लिए दोहरा फायदा
यह योजना किसानों के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित होगी. पहला, उन्हें पराली जलाने पर जुर्माने से छुटकारा मिलेगा. दूसरा, उन्हें मुफ्त में उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद मिलेगी, जो मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखेगी. तीसरा, इस खाद से फसलों की पैदावार में प्राकृतिक रूप से वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय में भी इजाफा होगा.
सरकार की ओर से कहा गया है कि गोबर की खाद रासायनिक खाद की तुलना में पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प है. इससे खेतों में पोषक तत्वों की मात्रा बनी रहती है और मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या भी बढ़ती है, जो स्वस्थ खेती के लिए आवश्यक है.
पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह का निर्देश
राजधानी लखनऊ में आयोजित एक समीक्षा बैठक के दौरान पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि योजना को हर जिले में प्रभावी रूप से लागू किया जाए. उन्होंने कहा, “पराली जलाने पर जुर्माना लगाने के बजाय किसानों को इसका लाभ दिया जाए. अगर किसान सहयोग करेंगे तो प्रदूषण की समस्या खुद खत्म हो जाएगी.”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जिन जिलों में भूसा टेंडर या पराली से जुड़ी प्रक्रियाएं लंबित हैं, वहां के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. सरकार चाहती है कि यह योजना केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि हर किसान को इसका वास्तविक लाभ मिले.
कैसे मिलेगा किसानों को फायदा
इस योजना के तहत किसान अपने खेतों की पराली इकट्ठा करके निकटतम गोशाला केंद्र पर दे सकते हैं. वहां पराली का उपयोग पशुओं के बिछावन के रूप में किया जाएगा और बदले में किसानों को गोबर से बनी खाद दी जाएगी. यह खाद पूरी तरह ऑर्गेनिक होगी, जिससे खेतों की मिट्टी में नमी और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी.
प्रदूषण नियंत्रण में बड़ी पहल
यह योजना सिर्फ किसानों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए है. हर साल सर्दियों में पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है. खासकर दिल्ली-एनसीआर समेत पश्चिमी यूपी में इसका असर गंभीर होता है. ऐसे में इस तरह की योजना प्रदूषण नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.