भारत में सब्जी की खेती हमेशा से किसानों के लिए आमदनी का बड़ा जरिया रही है. खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हरी मिर्च की मांग हर मौसम में बनी रहती है. सर्दी हो या गर्मी, हर समय बाजार में हरी मिर्च की कीमत अच्छी रहती है. यही वजह है कि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लिए हरी मिर्च की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन गई है. अगर आप भी सोच रहे हैं कि इस अक्टूबर में हरी मिर्च की खेती करें, तो यह समय बिल्कुल सही है. इस लेख में हम आपको हरी मिर्च की 4 उन्नत किस्मों और उनकी खेती की पूरी जानकारी देंगे.
पंत चिली
पंत चिली-1 किस्म अपनी बेहतरीन उत्पादन क्षमता और स्वाद के लिए जानी जाती है. इस किस्म का उत्पादन लगभग 7 टन प्रति हेक्टेयर होता है. बुवाई के 60-65 दिनों के बाद हरी मिर्च तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. सर्दियों के मौसम में इसका दाम लगभग 100 रुपये प्रति किलो तक रहता है, जिससे किसान को अच्छा मुनाफा होता है.
पूसा ज्वाला मिर्च
यदि आप अक्टूबर में रोपाई करें तो पूसा ज्वाला की किस्म भी एक अच्छा विकल्प है. इसकी विशेषता झाड़ी नुमा आकार और हल्के गहरे रंग की मिर्च है. इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 8 टन तक होता है. इसके साथ ही किसान हरी मिर्च को तोड़कर सुखाकर सूखी लाल मिर्च भी बना सकते हैं, जिससे डबल फायदा मिलता है.
तेजस्विनी मिर्च
तेजस्विनी किस्म बंपर पैदावार देने वाली मानी जाती है. पौधों की रोपाई के 80 दिन बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है. प्रति हेक्टेयर लगभग 200 कुंतल हरी मिर्च उत्पादन संभव है. इस मिर्च की लंबाई 9-10 सेंटीमीटर तक होती है और यह अपने तीखेपन के लिए मशहूर है.
जवाहर मिर्च
जवाहर मिर्च-148 किस्म सबसे जल्द पकने वाली मिर्च है. इसकी खासियत यह है कि यह खाने में कम तीखी होती है और बाजार में इसकी मांग बहुत रहती है. प्रति हेक्टेयर लगभग 100 कुंतल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. यह किस्म उन किसानों के लिए बेहतरीन है जो जल्दी पैदावार लेकर बाजार में बिक्री करना चाहते हैं.
हरी मिर्च की खेती का फायदा
हरी मिर्च की खेती से किसान को डबल फायदा होता है. हरी मिर्च को सीधे बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. साथ ही इसे धूप में सुखाकर सूखी लाल मिर्च भी बनाई जा सकती है. यह तरीका उन किसानों के लिए बहुत लाभकारी है जो बंपर पैदावार के साथ अपने उत्पाद की वैल्यू भी बढ़ाना चाहते हैं.
खेती की तैयारी और रोपाई
हरी मिर्च की खेती के लिए मिट्टी हल्की दोमट और उर्वर होनी चाहिए. अक्टूबर का महीना बुवाई के लिए सबसे अच्छा है. पौधों के बीच कम से कम 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिले और पैदावार बढ़ सके. रोपाई के बाद नियमित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण से पौधों का विकास तेजी से होता है.
बाजार और बिक्री रणनीति
बाजार में हरी मिर्च की मांग पूरे साल बनी रहती है. किसान इसे ताजी हरी मिर्च के रूप में बेच सकते हैं या फिर धूप में सुखाकर सूखी लाल मिर्च बना सकते हैं. अक्टूबर से रोपाई करने पर दिसंबर-जनवरी तक पहले तुड़ाई का लाभ मिल जाता है. इस प्रकार किसान को जल्दी मुनाफा भी मिलता है और बाजार में मांग के अनुसार बिक्री का विकल्प भी रहता है.
पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ
हरी मिर्च की खेती केवल मुनाफे तक सीमित नहीं है. यह मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करती है और किसानों के खेतों को हरा-भरा रखती है. छोटे और बड़े किसान मिलकर हरी मिर्च की खेती करें तो गांव में आर्थिक समृद्धि और रोजगार दोनों बढ़ सकते हैं.