प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 60 रुपये किलो गेहूं का MSP..ऊपर से 2 रुपये किलो परिवहन खर्च

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है. सरकार किसानों से बिना रसायन वाली फसलें खरीद रही है और गेहूं, मक्का, हल्दी के लिए उच्च MSP तय किए हैं. किसानों को परिवहन भत्ता भी मिल रहा है. इससे खेती की लागत घट रही है और आय बढ़ रही है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 9 Jun, 2025 | 12:00 PM

हिमाचल प्रदेश में खेती के तरीके तेजी से बदल रहे हैं. अब ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं, जिसमें रासायनिक खाद और कीट नाशकों का इस्तेमाल नहीं होता. सरकार भी इस बदलाव को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मदद दे रही है. इसमें सबसे खास बात है कि प्राकृतिक तरीके से उगाई गई फसलों की सरकारी खरीद की जा रही है और उनके लिए बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया गया है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने गेहूं का MSP 60 रुपये प्रति किलो, मक्का का 40 रुपये और हल्दी का 90 रुपये प्रति किलो तय किया है. ये देश में प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलों के लिए सबसे अच्छे रेट माने जा रहे हैं. इसका मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना है. सिरमौर जिले में 15 से 25 मई तक नाहन और पांवटा साहिब में गेहूं की खरीद के केंद्र बनाए गए.

परिवहन खर्च 2 रुपये प्रति किलो

ATMA (कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी) सिरमौर के परियोजना निदेशक साहिब सिंह के अनुसार, किसानों को परिवहन खर्च के लिए 2 रुपये प्रति किलो अतिरिक्त दिए जा रहे हैं. इस सीजन में जिले का लक्ष्य 275 क्विंटल गेहूं और 25 क्विंटल हल्दी खरीदने का है. अब तक 42 किसानों से 178 क्विंटल गेहूं और 8 किसानों से 20 क्विंटल हल्दी खरीदी जा चुकी है. नाहन तहसील के खद्री गांव के किसान रवि कुमार ने कहा कि वे 2021 से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. इस साल उन्होंने 2 बीघा जमीन पर गेहूं की खेती की, जिससे 8 क्विंटल गेहूं पैदा हुआ.

60 रुपये किलो गेहूं का MSP

किसान रवि कुमार ने कहा कि इसमें से 3 क्विंटल गेहूं घर के इस्तेमाल के लिए रखे और बाकी 5 क्विंटल उन्होंने स्थानीय खरीद केंद्र पर 60 रुपये प्रति किलो की दर से बेचे. इसके साथ ही उन्हें 2 रुपये प्रति किलो का परिवहन भत्ता भी मिला. रवि अब इस सीजन में हल्दी की खेती बड़े स्तर पर करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से लागत कम होती है और जब सही दाम मिलते हैं, तो यह खेती टिकाऊ बन जाती है.

प्राकृतिक खेती करने वालों में भरोसा बढ़ा

सकरड़ी गांव के किसान बलिंदर सिंह 2019 से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने नाहन केंद्र पर 2 क्विंटल गेहूं बेचा और अब 5 से 6 बीघा जमीन पर मक्का बोने की तैयारी कर रहे हैं. बलिंदर ने कहा कि तय दाम और खरीद की गारंटी की वजह से अब ज्यादा किसान रासायनिक-मुक्त खेती की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार की यह खरीद पहल और दाम की गारंटी प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों में भरोसा बढ़ा रही है. हालांकि, जागरूकता और बाजार तक पहुंच जैसी चुनौतियां अब भी हैं, लेकिन इन प्रयासों से प्राकृतिक खेती को आर्थिक रूप से मजबूत विकल्प बनने में मदद मिल रही है.

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Published: 9 Jun, 2025 | 11:53 AM

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