Natural Farming: तमिलनाडु के कोयंबटूर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त जारी करने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती 21वीं सदी की जरूरत हो गई है. आने वाले समय में भारत प्राकृतिक खेती का ग्लोबल हब बनने की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 11 सालों में कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है और हमारा कृषि निर्यात दोगुना हो गया है. उन्होंने कहा कि खेती को आधुनिक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों की मदद के कई नए रास्ते खोले हैं. सिर्फ KCC के माध्यम से ही किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की सहायता दी गई है. साथ ही बायो-फर्टिलाइजर पर GST घटाने से भी किसानों को बड़ा लाभ मिला है.
दरअसल, पीएम मोदी ने South India Natural Farming Summit के दौरान ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि अब किसान, कृषि वैज्ञानिक, स्टार्टअप और इनोवेटर मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारतीय खेती में बड़े बदलाव दिखने वाले हैं. भारत नैचुरल फार्मिंग का ग्लोबल हब बनने की ओर बढ़ रहा है. युवाओं के लिए भी यह अब एक आधुनिक और स्केलेबल अवसर बन गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नेचुरल फार्मिंग मेरे दिल के बहुत करीब का विषय है. मैं तमिलनाडु के सभी किसानों को South India Natural Farming Summit के इस शानदार आयोजन के लिए शुभकामनाएं देता हूं.
क्यो बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे मानना होगा कि अगर मैं South India Natural Farming Summit में नहीं आया होता, तो बहुत कुछ देखने और सीखने से वंचित रह जाता. यहां आने के बाद मैंने काफी ज्ञान हासिल किया है. अब मैं तमिलनाडु के किसानों की ताकत और बदलाव को अपनाने की उनकी खुली सोच को सलाम करता हूं. पीएम मोदी ने कहा कि आज देश के युवा भी कृषि को एक आधुनिक और बड़े स्तर पर बढ़ाई जा सकने वाली अवसर के रूप में देख रहे हैं. इससे गांवों की अर्थव्यवस्था को बड़ी ताकत मिलेगी और ग्रामीण विकास और तेज होगा.
प्राकृतिक खेती 21वीं सदी की जरूरत
पीएम ने कहा कि प्राकृतिक खेती 21वीं सदी की कृषि की जरूरत है. हाल के सालों में बढ़ती मांग के चलते कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग तेजी से बढ़ा है. इसके कारण मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है और खेती का खर्च बढ़ रहा है. इसका समाधान फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती में है. उनके मुताबिक, प्राकृतिक खेती भारत का अपना विचार है, यह कोई आयातित चीज नहीं है. यह हमारे पूर्वजों की परंपराओं और ज्ञान से उत्पन्न हुई है. यह भारत की जलवायु और प्राकृतिक परिस्थितियों के बिल्कुल अनुकूल है. मैं खुश हूं कि दक्षिण भारत के किसान प्राकृतिक खेती की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.