Pea Farming: ठंड और पाले का भी मटर पर नहीं होगा कुछ असर, अपनाएं ये फॉर्मूला.. बढ़ जाएगी पैदावार

जनवरी का महीना मटर की फसल के लिए बेहद अहम होता है. इस समय सही सिंचाई, पाले से बचाव, पोषक तत्वों का संतुलन और रोग नियंत्रण पर ध्यान देकर किसान उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ा सकते हैं. थोड़ी सी सावधानी से फलियों की संख्या, दानों का वजन और बाजार भाव बेहतर किया जा सकता है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 27 Dec, 2025 | 08:00 PM
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Pea Farming: सर्दियों के बीच मटर की हरी-भरी फसल हर किसान के चेहरे पर उम्मीद की मुस्कान ले आती है. जनवरी का महीना मटर के लिए सबसे अहम माना जाता है, क्योंकि इसी समय फूल, फलियां और दानों का भविष्य तय होता है. ठंड और ओस जहां मटर में मिठास बढ़ाती है, वहीं पाले और रोगों का खतरा भी इसी दौर में सबसे ज्यादा रहता है. अगर किसान इस समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो मटर का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी की जा सकती है.

सही नमी और सिंचाई से बनेंगी भरपूर फलियां

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि जनवरी में जब मटर में फूल  आ रहे हों या फलियां बनने लगें, तब खेत में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए. इस समय हल्की सिंचाई करना बेहद फायदेमंद माना जाता है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि खेत में पानी जमा न हो, क्योंकि मटर की जड़ें  ज्यादा पानी सहन नहीं कर पातीं. सही नमी मिलने से फलियां पूरी लंबाई लेती हैं और दाने अच्छे आकार के बनते हैं. इससे न सिर्फ पैदावार बढ़ती है, बल्कि बाजार में मटर की मांग भी ज्यादा रहती है.

पाले से बचाव है सबसे बड़ा हथियार

सर्दियों में मटर की फसल के लिए पाला सबसे बड़ा दुश्मन होता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर पाले की संभावना हो तो शाम के समय हल्की सिंचाई करना या खेत के चारों ओर धुआं करना फायदेमंद रहता है. इससे खेत का तापमान कुछ हद तक नियंत्रित रहता है. इसके अलावा, सल्फर का छिड़काव करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और फूल झड़ने की समस्या  कम होती है. समय रहते यह उपाय करने से फसल को भारी नुकसान से बचाया जा सकता है.

पोषक तत्व देंगे वजन और चमक

मटर में ज्यादा फलियां और भारी दाने पाने के लिए इस समय पोषक तत्वों का सही इस्तेमाल जरूरी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनपीके या बोरोन का छिड़काव करने से फलियों की संख्या बढ़ती है और दानों में अच्छी चमक आती है. बोरोन की कमी से फलियां फट सकती हैं, इसलिए इसका संतुलित प्रयोग फायदेमंद माना जाता है. अगर पौधे पीले नजर आएं, तो हल्का यूरिया घोल बनाकर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की तुरंत पूर्ति हो जाती है और पौधे फिर से हरे-भरे दिखने  लगते हैं.

रोग, खरपतवार और सही तुड़ाई का समय

जनवरी में मटर की फसल पर फफूंद और कीटों का खतरा भी बढ़ जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पत्तियों पर सफेद पाउडर दिखे तो तुरंत फफूंदनाशक का प्रयोग करना चाहिए. माहू जैसे कीटों के लिए नीम तेल  या उपयुक्त दवा का छिड़काव असरदार रहता है. इसके साथ ही खेत में दिखने वाले खरपतवार निकाल देना जरूरी है, क्योंकि ये पोषक तत्व छीन लेते हैं और कीटों को पनपने का मौका देते हैं. अच्छी कीमत पाने के लिए मटर की तुड़ाई सही समय पर करना बेहद जरूरी है. जब दाने पूरी तरह भर जाएं, लेकिन फलियां हरी और नरम हों, तभी तुड़ाई करनी चाहिए. ज्यादा देर करने से दाने सख्त हो जाते हैं और मिठास कम हो जाती है, जिससे बाजार भाव गिर सकता है. सही समय पर तुड़ाई और देखभाल से मटर की फसल किसानों के लिए मुनाफे  का सौदा बन सकती है.

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Published: 27 Dec, 2025 | 08:00 PM

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