Potato Farming: आलू की खेती करने वाले किसान अकसर इस बात से परेशान रहते हैं कि सर्दी के दिनों में जब तापमान में भारी गिरावट आएगी तब वे अपनी फसल को पाले (Frost) से कैसे बचाएंगे. दरअसल, सर्दियों के मौसम में जब रात के वक्त ठंडी हवा अचानक जमने लगती है, तो खेतों में खड़ी आलू की फसल सबसे पहले इसकी चपेट में आती है. पाला पड़ने से कई बार आलू की फसल काली पड़ जाती है और पूरी फसल चौपट हो जाती है. इस कारण आलू किसानों के सामने गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है. इस गंभीर समस्या से बचने के लिए किसान इन 5 जरूरी टिप्स को अपना सकते हैं.
1- फसल को हल्की सिंचाई दें
सर्दी के दिनों में ज्यादातर रात के समय पाला पड़ता है तब मिट्टी का तापमान अचानक से गिर जाता है. ऐसी स्थिति में अगर किसान शाम के समय हल्की सिंचाई कर दें तो मिट्टी में मौदूद पानी भाप छोड़ता रहता है जिससे पौधों के आसपास की ठंड कम होना लगती है. लेकिन सिंचाई करते समय भी किसान इस बात का खास खयाल रखें कि वे फसल को इतनी ही सिंचाई दें जिससे पौधों के पास नमी बनी रहे.
2- मिट्टी की एक परत चढ़ा दें
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए पौधों के तनों और जड़ों के आसपास फावड़ा या हल चलाकर मिट्टी की एक परत चढ़ा दें. मिट्टी की परत चढ़ाने से पौधों का निचला हिस्से तक ठंड नहीं पहुंच पाती है. खासतौर पर से तरीका 5 से 8 इंच ऊंचे पौधों पर ये तरीका बहुत असरदार होता है. ऐसा करने के बाद भी अगर आलू के पौधों की ऊपर की पत्तियां थोड़ी खराब भी हो जाएं तो भी जड़ों से नई पत्तियों का विकास हो सकता है.
3- फसल के आसपास धुआं दें
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाले वाली रात या सुबह-सुबह खेत के किनारों पर गोबर, पुआल, ठूंठ या सूखी लकड़ी सुलगाकर हल्का धुआं करें. धुएं की मदद से हवा में एक परत बनती है जो कि ठंडी हवा को नीचे जमने नहीं देता है. छोटे खेतों के लिए ये तरीका बहुत ही असरदार होता है. किसानों को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि धुएं के लिए आग न लगाए, केवल सुलगाएं ताकि आर की लपटें न लगें.
4- खेत में मल्चिंग का इस्तेमाल करें
आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए किसान मल्चिंग विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए पौधों के आसपास सूखी घास, पुआल पत्ते या प्लास्टिक शीट बिछा दें. मल्चिंग के कारण पौधे को सीधी ठंड नहीं लगती और जमीन का तापमान स्थिर रहता है. मल्चिंग के इस्तेमाल से खेत में नमी भी बनी रहती है, जिसके कारण सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है.
5- जैविक तरीकों को अपनाएं
पाले से बचाव के लिए कुछ किसान हींग को पानी में घोलकर या फिर नीम तेल या नीम की पत्तियों के अर्क का भी हल्का छिड़काव करते हैं. बता दें कि, ये घोल पत्तियों पर एक प्रोटेक्टिव कोट (परत) बनाते हैं, जिससे ठंड सीधे पत्तियों को नुकसान नहीं पहुंचा पाती है. इसके साथ ही ये रोगों से भी फसल को बचाता है.