Cow Health : गाय सिर्फ दूध देने का साधन नहीं हैं, बल्कि किसान की आमदनी और डेयरी व्यवसाय की रीढ़ भी हैं. लेकिन अगर गाय बीमार हो जाए तो न सिर्फ दूध उत्पादन घटता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. कई बार हल्की बीमारियों को नजरअंदाज करना बड़े नुकसान का कारण बन सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि किसान गायों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और समय पर इलाज कराएं. आइए जानते हैं गायों को होने वाली प्रमुख बीमारियां, उनके लक्षण और आसान उपाय.
मुंहपका और खुरपका (FMD)
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुंहपका, जिसे खुरपका भी कहते हैं, गायों में जल्दी फैलने वाली बीमारी है. इस बीमारी में गायों के मुंह, जीभ, होठों और खुरों पर छाले पड़ जाते हैं. लार गिरती है और गाय खाना नहीं खाती. इसके साथ ही लंगड़ापन और बुखार भी देखने को मिलता है.
उपाय:- संक्रमित गाय को तुरंत अलग करें और गौशाला की साफ-सफाई का ध्यान रखें. समय-समय पर टीकाकरण करना जरूरी है ताकि बीमारी फैलने से रोकी जा सके. शुरुआती लक्षण पहचानने से नुकसान काफी कम किया जा सकता है.
थनैला (मस्ताइटिस)
थनैला या मस्ताइटिस गायों की एक आम बीमारी है. इसमें थन में सूजन और लालिमा, दूध में खून या पीला पदार्थ और बुखार देखने को मिलता है. गाय बेचैन रहती है और दूध उत्पादन में गिरावट आती है.
उपाय:- थनों की नियमित सफाई जरूरी है. अगर बीमारी बढ़ जाए तो एंटीबायोटिक उपचार कराना चाहिए और संक्रमित गाय के दूध को अलग रखना चाहिए. सावधानी बरतने से मस्ताइटिस को जल्दी नियंत्रित किया जा सकता है.
लंगड़ापन, दूध ज्वर और बचेरी
कुछ गायों में चलने में कठिनाई, खुरों में सूजन और दर्द जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं. दूध ज्वर या मिल्क फीवर में गाय कमजोर हो जाती है, लड़खड़ाती है और खाने-पीने में अरुचि दिखाती है. वहीं, बचेरी (Bloat) में पेट में सूजन, बार-बार लेटना और उठने की कोशिश होती है, जिससे गाय परेशान रहती है.
उपाय:- इन समस्याओं से बचने के लिए गायों को संतुलित आहार और पर्याप्त हरा चारा दें. साफ और सूखी जगह पर रखें. पेट की मालिश और आवश्यक दवाओं के साथ वेटरनरी डॉक्टर से समय पर इलाज कराएं.
संक्रामक और खतरनाक बीमारियां
गायों में कुछ संक्रामक बीमारियां भी होती हैं, जिनका असर गंभीर हो सकता है. ब्रुसेलोसिस (Brucellosis) में बार-बार गर्भपात और कमजोर बछड़े पैदा होते हैं. रेबीज (Rabies) में गाय अचानक आक्रामक हो जाती है, मुंह से झाग निकलता है और पानी से डरने लगती है. गलघोंटू (Hemorrhagic Septicemia) में गले में सूजन, सांस लेने में कठिनाई और कभी-कभी अचानक मौत भी हो सकती है.
उपाय:- संक्रमित गायों को तुरंत अलग करें. समय-समय पर टीकाकरण कराएं और संदिग्ध मामलों में वेटरनरी डॉक्टर से सलाह लें. साफ-सफाई बनाए रखना और संक्रमित गायों के संपर्क को सीमित करना बहुत जरूरी है.
लम्पी स्किन डिजीज और पाचन समस्याएं
लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) में गाय के शरीर पर गांठें बन जाती हैं, बुखार आता है और दूध उत्पादन कम हो जाता है. वहीं, पाचन संबंधी समस्याओं (Indigestion) में भूख न लगना, बार-बार डकार आना और मल त्याग में परेशानी होती है.
उपाय:- लम्पी स्किन डिजीज में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और संक्रमित गाय को अलग रखें. पाचन समस्याओं में सही मात्रा में आहार दें, पेट की मालिश करें और आवश्यक दवा व डॉक्टर की सलाह लें.
किसानों के लिए आसान टिप्स
- साफ-सफाई:– गौशाला और रहने की जगह हमेशा साफ और सूखी रखें.
- संतुलित आहार:– गायों को हरा चारा , सूखा चारा और खनिज लवण दें.
- टीकाकरण:– समय–समय पर सभी जरूरी टीके लगवाएं.
- बीमार गायों का अलग करना:– किसी भी बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए संक्रमित गायों को अलग रखें.
- नियमित जांच:– डॉक्टर से नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें.
इन सरल उपायों को अपनाकर किसान अपनी गायों को स्वस्थ रख सकते हैं और दूध उत्पादन बनाए रख सकते हैं.