Goat Farming : झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ-साथ पशुपालन को जोड़कर किसान अब अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. खासकर बकरी पालन, जिसे हमेशा से लाभकारी व्यवसाय माना गया है, अब झारखंड सरकार की योजना के जरिए और भी फायदेमंद बन गया है. मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत किसानों को 10 बकरियां और 1 बकरा देने की सुविधा दी जा रही है.
बकरी पालन से बढ़ती आमदनी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार खेती के साथ बकरी पालन करने से किसान न केवल दूध और मांस का लाभ उठा सकते हैं, बल्कि बकरियों और बकरे की प्रजनन क्षमता से व्यापार का विस्तार भी कर सकते हैं. झारखंड सरकार की योजना किसानों को सब्सिडी और प्रशिक्षण दोनों प्रदान कर रही है, जिससे छोटे और सीमांत किसान भी इस व्यवसाय में आसानी से शामिल हो सकते हैं. बकरी पालन का व्यवसाय निवेश में कम, लाभ में ज्यादा होता है. 10 बकरियों और 1 बकरे के साथ शुरू होने वाला यह छोटा व्यवसाय धीरे-धीरे बड़े व्यवसाय में बदल सकता है. इसके जरिए किसान सालाना नियमित आय प्राप्त कर सकते हैं और स्थानीय बाजार में अपने उत्पाद बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं.
योजना की खास बातें और सब्सिडी
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत सामान्य लाभार्थियों को 75 फीसदी सब्सिडी दी जाती है, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 90 फीसदी सब्सिडी प्राप्त होती है. इसका मतलब है कि किसान को केवल कुछ हजार रुपए निवेश करके पूरी बकरी पालन की शुरुआत करने का मौका मिलता है. सरकार की इस योजना में प्रशिक्षण भी शामिल है. प्रशिक्षण प्राप्त किसान योजना का लाभ आसानी से उठा सकते हैं. इससे उन्हें जानवरों की देखभाल, स्वस्थ प्रजनन और पोषण की जानकारी मिलती है.
आवेदन प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज
योजना का लाभ उठाने के लिए किसान अपने नजदीकी पंचायत या प्रखंड कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं. आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में जाति प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक खाता विवरण शामिल हैं. सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द आवेदन करें ताकि योजना का लाभ समय पर मिल सके. योजना के तहत चयनित किसानों को बकरियों और बकरे के साथ-साथ आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा.
प्रशिक्षण और पशुओं की देखभाल
बकरी पालन की सफलता का राज सही देखभाल और प्रशिक्षण में छिपा है. प्रशिक्षण प्राप्त किसान जानवरों के स्वास्थ्य, दूध उत्पादन और प्रजनन में सुधार कर सकते हैं. बकरियों को संतुलित आहार देना, साफ-सुथरे स्थान पर रखना और समय-समय पर टीकाकरण करना आवश्यक है. इसके अलावा, स्वास्थ्य जांच और बीमारियों से बचाव के उपाय अपनाने से बकरियों का उत्पादन और जीवनकाल दोनों बढ़ जाते हैं. प्रशिक्षित किसान अपने व्यवसाय को लाभकारी बना सकते हैं और आसपास के अन्य किसानों के लिए भी उदाहरण पेश कर सकते हैं.
बकरी पालन से ग्रामीण विकास और रोजगार
बकरी पालन केवल आय का स्रोत नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में भी मदद करता है. इससे स्थानीय बाजार में दूध और मांस की आपूर्ति बढ़ती है. इसके साथ ही, महिलाओं और युवाओं को रोजगार के अवसर मिलते हैं. छोटे निवेश के साथ शुरू किया गया बकरी पालन धीरे-धीरे किसान के लिए स्थायी व्यवसाय बन सकता है. सरकार की योजना और प्रशिक्षण से किसान आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे और बकरी पालन को एक लाभकारी पेशे के रूप में अपना सकेंगे. बकरी पालन की यह योजना झारखंड के किसानों के लिए सुनहरा अवसर है. सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सब्सिडी और प्रशिक्षण से किसान कम निवेश में स्थायी आय कमा सकते हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं.