मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन और गो-संरक्षण के क्षेत्र में सरकार ने बड़ा अभियान चलाया है. राज्य सरकार का लक्ष्य न सिर्फ दुग्ध उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि पशुपालक किसानों की आमदनी को भी दोगुना करना है. गोपाल और गो-पालन हमारी सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. जहां गो-पालन होता है, वह घर गोकुल कहलाता है. यही सोच लेकर प्रदेश सरकार समाज के सहयोग से गो-संरक्षण और दुग्ध उत्पादन में निरंतर प्रयास कर रही है.
दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान से किसानों को मिलेगा फायदा
प्रदेश में गांव-गांव जाकर दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान चलाया गया. अभियान का उद्देश्य किसानों और पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के तरीके, पशुओं में नस्ल सुधार, स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जानकारी देना है. इसके तहत तकनीकी जानकारी के साथ-साथ व्यावहारिक सुझाव भी दिए जा रहे हैं. अभियान के पहले चरण में 3 लाख 70 हजार से अधिक पशुपालकों से संवाद किया गया. किसानों ने उत्साहपूर्वक इसमें भाग लिया और अनुभव साझा किए.
गोवर्धन पर्व का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
21 अक्टूबर को गोवर्धन पर्व मनाया जाएगा. इस पर्व में गौशालाओं और पशुपालकों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा. राज्य में प्रत्येक जिले में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें गौ-पूजन, अन्नकूट भोग और परंपरागत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल होंगी. यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में उपलब्धियों का उत्सव भी है.
गो-शालाओं की अनुदान राशि में वृद्धि
मध्यप्रदेश सरकार ने गो-शालाओं के लिए प्रतिदिन अनुदान राशि 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दी है. पिछले वर्षों में गो-शालाओं के लिए बजट बढ़ाकर 600 करोड़ रुपए कर दिया गया है. इससे गोवंश के बेहतर पालन-पोषण और व्यवस्थापन में मदद मिलेगी. अनुदान राशि सीधे डीबीटी के माध्यम से गो-शालाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है.
1000 से अधिक नवीन गो-शालाओं का निर्माण
वर्तमान में प्रदेश में 2900 गो-शालाएं संचालित हैं, जिनमें लगभग 4.25 लाख गोवंश का पालन किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री गो-सेवा योजना के तहत 2203 गो-शालाएं बनाई गई हैं. पिछले वर्ष में 1000 से अधिक नई गो-शालाओं का निर्माण हुआ, जिनमें एक लाख से अधिक गोवंश का प्रबंधन किया जा रहा है.
स्वावलंबी गो-शालाओं की स्थापना
प्रदेश सरकार ने स्वावलंबी गो-शालाओं की नीति-2025 लागू की है. इसमें प्रत्येक गो-शाला में न्यूनतम 5000 गोवंश का प्रबंधन होगा. कुल 130 एकड़ भूमि गो-शालाओं को आवंटित की गई है, जिससे गोवंश के लिए आवास और व्यावसायिक गतिविधियों का प्रबंध किया जा सके. यह योजना किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए आय के नए अवसर भी खोलती है.
गोवंश वध पर कड़ा कानून
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने गोवंश के वध पर पूर्ण कानूनी प्रतिबंध लगाया है. प्रदेश में गो-वंश वध प्रतिषेध अधिनियम-2004 (संशोधित 2010 और 2024) लागू है. इसमें अवैध वध करने पर 7 साल और गो-मांस रखने या परिवहन करने पर 3 साल का कारावास है. अवैध परिवहन में प्रयुक्त वाहन को भी जब्त करने का प्रावधान है.
ग्रामीण आजीविका के लिए विशेष योजनाएं
गोवर्धन पर्व और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. आंगनवाड़ी केंद्रों में पंचगव्य उत्पाद जैसे घी, दूध, पनीर और दही से बनी सामग्री का वितरण किया जाएगा. यह योजना ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी.
भविष्य की दिशा और योजना
मध्यप्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के दुग्ध उत्पादन को 9 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाए. इसके लिए सरकार घर-घर जाकर किसानों को जागरूक कर रही है. आधुनिक तकनीक, स्वास्थ्य प्रबंधन और संतुलित आहार के माध्यम से दुग्ध उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आमदनी दोगुनी की जाएगी. मध्यप्रदेश सरकार की ये पहल किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण समुदाय के लिए नई उम्मीद लेकर आई है. गोवंश संरक्षण, दुग्ध उत्पादन और स्वावलंबी गो-शालाओं की स्थापना राज्य को दुग्ध क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है.