Poultry Business: सिर्फ 6 से 8 हफ्तों में तैयार! जानिए कौन सी मुर्गी दे रही है सबसे ज्यादा मुनाफा

मुर्गी पालन अब सिर्फ शौक नहीं, कमाई का मजबूत जरिया बन गया है. सही नस्ल चुनकर किसान कम समय में तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं, वो भी कम खर्च और देखभाल में. हालांकि, पोल्ट्री पालन में सही नस्ल की मुर्गियों का चुनाव काफी अहम होता है. यहां कुछ ऐसी नस्लों की भी जानकारी दी जा रही है जो कारोबार के बेहतर साबित होती हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 2 Oct, 2025 | 02:19 PM

आज के समय में मुर्गी पालन (Poultry Farming) सिर्फ शौक नहीं, बल्कि एक फायदे वाला बिजनेस बन गया है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार और आमदनी का अच्छा जरिया बनता जा रहा है. मुर्गी पालन से ना सिर्फ अंडा और मांस मिलता है, बल्कि सही नस्ल चुनकर कम समय में ज्यादा कमाई भी की जा सकती है. अगर आप मुर्गी पालन शुरू करने की सोच रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप ऐसी नस्ल चुनें जो आपकी जरूरत और इलाके के मौसम के अनुसार फिट बैठती हो. यहां हम जानेंगे कि भारत में पाई जाने वाली 5 बेहतरीन मुर्गी नस्लों के बारे में जो अंडा और मांस उत्पादन दोनों के लिए फायदेमंद हैं.

रोड आइलैंड रेड (Rhode Island Red) अंडों की रानी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रोड आइलैंड रेड मुर्गी नस्ल अंडा उत्पादन के लिए किसानों की सबसे पसंदीदा नस्लों में से एक है. यह मुर्गी सालभर में लगभग 250 से 300 अंडे देती है, जो आकार में बड़े और रंग में गहरे भूरे होते हैं. इस नस्ल का मांस भी स्वादिष्ट होता है, जिससे किसानों को अंडा और मांस दोनों का फायदा मिलता है. खास बात यह है कि यह नस्ल हर मौसम में खुद को ढाल लेती है और ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती. कम लागत और ज्यादा उत्पादन की वजह से यह ग्रामीण इलाकों में बेहद लोकप्रिय और भरोसेमंद नस्ल मानी जाती है.

लेगहॉर्न (Leghorn) तेज रफ्तार अंडा उत्पादन

अगर आप अंडा उत्पादन के लिए मुर्गी पालन  शुरू करना चाहते हैं, तो लेगहॉर्न नस्ल आपके लिए एक शानदार विकल्प है. यह मुर्गी साल में लगभग 280 से 300 अंडे देने में सक्षम होती है. इनका शरीर हल्का होता है, जिससे इन्हें पालना आसान होता है, लेकिन इनकी उत्पादन क्षमता बेहद जबरदस्त होती है. लेगहॉर्न मुर्गियां गर्म मौसम को भी आसानी से सहन कर लेती हैं और इन्हें ज्यादा जगह या खास देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. अंडा उत्पादन के व्यवसाय में कम खर्च में अच्छी कमाई करने वालों के लिए यह नस्ल बिलकुल परफेक्ट है.

कुर्मान / कुरोइलर (Kuroiler) मांस और अंडा दोनों में नंबर 1

कुर्मान नस्ल खासतौर पर भारत के छोटे किसानों  के लिए तैयार की गई एक बेहतरीन मुर्गी नस्ल है, जो मांस और अंडा दोनों के उत्पादन में शानदार प्रदर्शन करती है. यह मुर्गी सालाना लगभग 150 से 180 अंडे देती है और साथ ही इसका मांस भी बेहद स्वादिष्ट होता है. कुर्मान मुर्गियों में रोगों से लड़ने की अच्छी प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे इनका पालन आसान हो जाता है. इन्हें खुले वातावरण में भी आसानी से पाला जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह नस्ल तेजी से लोकप्रिय हो रही है. दोहरा मुनाफा चाहने वाले किसानों के लिए यह आदर्श विकल्प है.

ब्रोइलर (Broiler) मांस के कारोबार में कमाई का बादशाह

अगर आपका उद्देश्य सिर्फ मांस उत्पादन  है, तो ब्रोइलर मुर्गी पालन आपके लिए सबसे सही विकल्प है. ब्रोइलर मुर्गियां मात्र 6 से 8 हफ्तों में मांस के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती हैं. इनका वजन तेजी से बढ़ता है और इनका मांस साफ, मुलायम और उच्च गुणवत्ता वाला होता है. हालांकि यह नस्ल अंडा बहुत कम देती है, लेकिन मांस के व्यापार में इसकी बाजार में जबरदस्त मांग है. खासतौर पर होटल, रेस्टोरेंट और थोक बाजारों में ब्रोइलर का बहुत अच्छा रेट मिलता है. कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए यह नस्ल बेहतरीन है.

कंपैक्ट लेयर (Compact Layer) कम जगह में ज्यादा अंडे

कंपैक्ट लेयर नस्ल खासतौर पर कॉमर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग  करने वालों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. यह मुर्गी साल में करीब 280 से 300 अंडे देती है, जो बड़े और स्वादिष्ट होते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कम जगह और सीमित चारे में भी पाला जा सकता है, और फिर भी यह शानदार प्रदर्शन करती है. छोटे किसानों या सीमित संसाधनों से शुरुआत करने वालों के लिए यह नस्ल एक कमाल का विकल्प है. कम लागत, ज्यादा उत्पादन और आसान देखभाल की वजह से यह नस्ल तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

पोल्ट्री पालन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

मुर्गी पालन से अच्छा मुनाफा हो सकता है, लेकिन सफल होने के लिए कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखना जरूरी है. सबसे पहले मुर्गियों के लिए साफसुथरी और हवादार जगह बनाए रखें. समय-समय पर टीकाकरण और दवाइयों  का उपयोग करना भी जरूरी है ताकि बीमारी से बचा जा सके. चारा पौष्टिक और संतुलित देना चाहिए ताकि मुर्गियां स्वस्थ रहें और अच्छा उत्पादन दें. मार्केट रिसर्च जरूर करें, जिससे आपको पता चले कि आपके इलाके में अंडे की ज्यादा मांग है या मांस की. शुरुआत छोटे बैच से करें, जिससे जोखिम कम होगा.

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