बिहार के मैंगो मैन ने तैयार की आम की नई किस्म चितरंजन, 40 साल की मेहनत रंग लाई, ICAR से मिला सम्मान

बिहार के प्रगतिशील किसान कालीदास बनर्जी ने आम की नई प्रजाति को विकसित किया है, जिसके लिए उन्हें आईसीएआर से सम्मानित किया गया है और प्रमाण पत्र दिया गया है. उनकी नई आम किस्म को 11 राज्यों में उगाया जा रहा है और हर दिन उनकी पौधशाला में दूर दूर से किसान खेती के तरीके और तकनीक सीखने पहुंच रहे हैं.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 28 Dec, 2025 | 04:26 PM
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Kisan India Champion Series Kalidas Banerjee: 40 साल से बागवानी फसलें उगा रहे प्रगतिशील किसान कालीदास बनर्जी ने आम की नई किस्म विकसित की है. इसे उन्होंने चितरंजन नाम दिया है. उनके इस आम की किस्म को स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग की ओर से मान्यता भी दी गई है और उनकी किस्म को संरक्षित किया गया है. इसके साथ ही दूसरे राज्यों के किसानों को नई आम किस्म की खेती के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्हें चैंपियन किसान भी कहा जा रहा है.

बिहार के कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड के रौतारा गांव निवासी अनुभवी बागवान कालीदास बनर्जी को स्थानीय लोग और कृषि से जुड़े प्रगतिशील किसान और वैज्ञानिक ‘मैंगो मैन’ के नाम से पुकारते हैं. कालीदास आम की नई प्रजातियों की खोज और उन्नत बागवानी के लिए लोकप्रिय हैं. उन्होंने अपनी हाईटेक पौधशाला में ‘चितरंजन’ नामक आम की नई प्रजाति विकसित की, जो भारत सरकार से संरक्षित है और दूर-दूर तक ख्यातिप्राप्त है.

कालीदास बनर्जी 7वीं कक्षा से कर रहे बागवानी

कालीदास बनर्जी ने प्रसार भारती को बताया कि वह 7वीं कक्षा से बागवानी कर रहे हैं. उनके पिता जी भी बागवानी करते थे, जिनसे उनमें भी खेती और बागवानी के लिए रुचि जगी. इसके लिए उन्होंने उद्यान विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग ली है और नई तकनीकों के जरिए बागवानी कर रहे हैं. उनकी पौधशाला किसानों के लिए प्रशिक्षण स्थल के रूप में भी लोकप्रिय है और वहां दूर दूर से किसान खेती की तकनीक सीखने और नई बीजों, पौधों को लेने पहुंचते हैं.

निसंतान दंपति ने जीवन बागवानी को समर्पित किया

कालीदास बनर्जी ने कहा कि वह अपनी पौधशाला में किसानों को कलम बांधने की विधियां सिखाते हैं और कीट नियंत्रण के लिए रसायन और उपकरणों का सटीक प्रयोग करने के तरीके भी बताते हैं. बनर्जी दंपति की कोई संतान नहीं है और उन्होंने अपना पूरा जीवन बागवानी को समर्पित कर दिया है. उन्हें पेड़-पौधों से गहरा स्नेह है. उनके उद्यान कार्यों के लिए उन्हें देश के विभिन्न राज्यों की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से प्रमाणपत्र और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है.

अलग-अलग किस्मों को क्रॉस कराके बनाई आम की नई वैरायटी

कालीदास बनर्जी ने कहा कि 1985 से बागवानी में वह सक्रिय हैं और उन्होंने आम की नई वैरायटी चितरंजन को विकसित किया है. इसको विकसित करने के लिए उन्होंने आम को भेनियर ग्राफटिंग और मुंबई कलमी के क्रॉस किया. चितरंजन आम के फल की लंबाई लगभग 6 इंच और गोलाई 3 इंच तक रहती है. इसके पत्ते रूखे रहते हैं. खास बात ये है कि इसकी फल की टहनियां काफी मजबूत होती हैं, जिससे तेज हवा में भी फल टूटकर नहीं गिरता है. फल में गुठली पतली और गूदा बिना रेशे वाला होता है. चितरंजन आम जून-जुलाई में तैयार होता है.

Bihar Mango Man kalidas banerjee

किसानों को आम के बाग में ट्रेनिंग देते कालीदास बनर्जी. नीचे तस्वीर में कटिहार के जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार.

नई आम किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से पेटेंट कराया

उन्होंने कहा कि चितरंजन आम अब कटिहार ही नहीं, बल्कि नेपाल, पश्चिम बंगाल और आसपास के जिलों में भी खरीदारों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. 9 राज्यों में उनकी नई आम किस्म को पहुंचाया गया है. कालीदास बनर्जी की हाईटेक पौधशाला में 20 से 25 किस्म के पौधे लगे हैं. कटिहार के जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि जिले के किसी किसान ने नई वैरायटी विकसित की है. उन्होंने कहा कि किसान ने इस किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-II AR) से पेटेंट भी कराया है.

kalidas banerjee mango new variety Chitranjan

आम वैरायटी चितरंजन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र.

नई किस्म का प्लांट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराया

कृषि विज्ञान केन्द्र कटिहार के कृषि वैज्ञानिक पंकज कुमार ने कहा कि कालिदास बनर्जी अलग-अलग किस्मों को ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए क्रॉस कराते रहते हैं, जिसमें उन्हें नई आम की वैरायटी विकसित करने में सफलता मिली है. नई आम किस्म को उन्होंने चितरंजन नाम दिया है. उन्होंने प्लांट प्रोटेक्शन वैरायटी फार्मर्स राइट्स एक्ट के तहत रजिस्टर कराया गया है. भारत सरकार की ओर से इसके लिए उन्हें प्रमाण पत्र भी मिला है.

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Published: 28 Dec, 2025 | 04:17 PM

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