कड़ी धूप में पिता की मेहनत देख खेती की तरफ बढ़ा रुझान, सिद्धार्थनगर के किसान विष्णु यादव कर रहे लाखों में कमाई

आज की सफलता की कहानी है सिद्धार्थनगर के युवा विष्णु यादव की, जो कि एक किसान परिवार से आते हैं. विष्णु यादव की कहानी अन्य किसानों के लिए मिसाल है कि कैसे कम संसाधनों में भी मेहनत कर इंसान सफलता हासिल कर सकता है. जानिए कैसे अपनी कड़ी मेहनत से विष्णु यादव ने अपने जीवन को बदला.

अनुराग कुमार श्रीवास्तव
गोरखपुर | Updated On: 29 Sep, 2025 | 10:34 AM

Champion Kisan: आज के दौर में जहां इंटर की पढ़ाई करने वाले बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर या फिर बड़े-बड़े दफ्तरों में नौकरी करने की सोचते हैं, वहीं एक बच्चा ऐसा भी है जिसने इंटर में अच्छे नंबर लाने के बाद भी पढ़ाई छोड़, खेती-किसानी का हाथ थाम लिया. जी हां, हम बात कर रहे हैं आज की हमारी ‘चैंपियन किसान’ सीरीज के सफल युवा किसान विष्णु यादव की, जो अपने स्कूली दिनों में पिता के साथ खेतों में उनका हाथ बंटाते थे. अपने पिता को कड़ी धूप में खेतों में मेहनत करते देखना और उनके साथ खेतों में काम करना, उन्हें इतना रास आया कि उन्होंने पढ़ाई छोड़ खेती करने का मन बना लिया और आज उसी खेती से लाखों में कमाई कर रहे हैं.

2016 में शुरू हुआ खेती का सफर

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के भानपुर रानी (नगहिया) गांव के रहने वाले युवा विष्णु यादव एक किसान परिवार से आते हैं. वे बताते हैं कि साल 2016 में जब वे इंटर के छात्र थे तब उनके पिता ने एक दिन उन्हें गन्ने के खेत (Sugarcane Farm Field) में खाद की बुआई करने को कहा, जिसके बाद उन्होंने पूरा दिन खेत में खाद की बुवाई का काम किया. विष्णु बताते हैं कि उस दिन खेतों में काम करके और पिता की कड़ी मेहनत देखकर उन्होंने किसानी का मन बना लिया. साल 2016 में इंटर की परीक्षा देने के बाद सबसे पहले उन्होंने प्याज की खेती की और उन्हें 25 हजार रुपये का मुनाफा भी हुआ. इस सफलता के बाद विष्णु ने खेती का मन बना लिया. वे बताते हैं कि इंटर में अच्छे नंबर से पास होने के बाद भी उन्होंने आगे की पढ़ाई नहीं की और अपना पूरा समय केवल खेती-किसानी को ही समर्पित कर दिया.

संसाधनों की कमी में भी नहीं मानी हार

विष्णु यादव बताते है कि पिता जी के साथ मिल कर बैलों से खेत की जुताई (Field Ploughing) करते थे, हालांकि गांव के कुछ किसानों के पास ट्रैक्टर थे लेकिन उनके पास ज्यादा पैसा न होने के कारण वे बैल से ही खेतों की जुताई करते थे. किसान विष्णु ने बताया कि उनके पास संसाधनों की कमी थी लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी, लगातार मेहनत और कोशिश करते रहे. उन्होंने बताया कि साल 2018 में उन्होंने 8 बीघा जमीन पर गन्ना उगाया जिसकी फसल इतनी अच्छी हुई कि मिल ने उनकी गन्ने की पूरी फसल खरीद ली. जिसके बाद उन्हें अच्छी कमाई हुई ,जिससे उनके पिता जी ने तुरंत मकान बनवा लिया. उन्होंने बताया कि दवा के छिड़काव के लिए मशीन भी नहीं थी जिसके कारण उनके पिता झाड़ू की मदद से खेतों में दवा का छिड़काव करते थें.

सालाना 5 लाख तक होती है कमाई

युवा किसान विष्णु यादव ने बताया कि वर्तमान में वे 8 बीघे मे गन्ने की खेती (Sugarcane Farming)करते हैं और 2 बीघे मे धान और गेहूं की खेती  (Wheat Farming)करते हैं,  इसके साथ-साथ घर के पास एक छोटी से जमीन है उसमें सब्जी की खेती करते हैं, जिसके कारण उन्हें बाजार से सब्जी नहीं खरीदनी पड़ती है. इसके अलावा उनके पास दो भैंसे भी है, जिनका दूध बेंचकर भी वे कमाई करते हैं. उन्होंने बताया कि खेती से और भैंसे के दूध बेचकर सालभर में उन्हें कुल 5 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है.

सरकार से भी मिली मदद

विष्णु बताते हैं कि उनके इस सफर में उन्हें सरकार से भी बहुत मदद मिली है. सरकार की तारीफ करते हुए विष्णु यादव बताते हैं कि सरकार ने गन्ना किसानों के लिए सबसे अच्छा काम यह किया है कि बिचौलियों को हटा दिया गया है. उन्होंने बताया कि अब किसान को खेत की जांच के बाद गन्ना तौल के लिए पर्ची और मोबाइल पर मैसेज मिल जाता है, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है और गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है. साथ ही तौल के 15 से 20 दिन के अंदर ही भुगतान भी मिल जाता है. उन्होंने बताया कि, उनके पिता को भी खेती के लिए आसानी से 1 लाख रुपये के लोन मिल गया था. इसके साथ ही उन्हें किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) का भी फायदा मिला है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं. 

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Published: 29 Sep, 2025 | 10:00 AM

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