Bihar News: बिहार कृषि विभाग ने प्रदेश के किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है जिसके तहत उन्हें सलाह दी गई है कि वे सितंबर के महीने में बैंगन की बुवाई करें ताकि उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो सके. दरअसल, सितंबर के दिन सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं. ऐसे में बैंगन की खेती करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है. बता दें कि, इन दिनों मौसम में नमी बनी रहती है जिसके कारण बैंगन के पौधों की अंकुरण दर बढ़ती है और पौधे तेजी से ग्रो करते हैं.
सितंबर में बैंगन बुवाई के फायदे
बिहार कृषि विभाग की ओर से सोशल मीडिया पर जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार, सितंबर महीना बैंगन की खेती (Brinjal Farming) के लिए बेस्ट होता है. इन दिनों बैंगन की बुवाई करने से पौधों की जड़े मजबूत होती हैं. साथ ही उत्पादन की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों ही बेहतर होती हैं. समय पर बुवाई करने के कारण पौधों को बढ़ने का पर्याप्त समय मिल जाता है और किसानों को बाजार में उनकी उपज की अच्छी कीमत भी मिलती है. सितंबर के महीने (Farming in September) में बैंगन की खेती का एक सबसे बड़ा फायदा ये भी है कि फसल में कीट और रोग लगने का खतरा कम होता है.

बैंगन की खेती के लिए बिहार कृषि विभाग की एडवाइजरी (Photo Credit- Bihar Krishi Vibhag)
ऐसे करें खेत की तैयारी
बैंगन की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सही मानी जाती है जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसके बाद खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई कर लें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके औक खरपतवार नष्ट हो सकें. खेत में जलभराव न हो, इसलिए जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर लें.ध्यान रखें कि मिट्टी तैयार करते समय उसमें 20 से 25 टन गोबर की खाद (Organic Fertilizer) जरूर मिलाएं. पौधों से अच्छी पैदावार लेने के लिए नर्सरी से 25 से 30 दिन पुराने पौधों का चुनाव करें और रोपाई के समय पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर तक की दूरी रखें.
- उपभोक्ताओं के लिए गाय-भैंस के दूध के नए पैकेट लॉन्च, किसानों की कमाई बढ़ा रही सहकारी दुग्ध समिति
- Best Wheat Seeds: रबी सीजन में इस गेहूं की बुवाई से मिलेगी बंपर उपज, किसान को 330 रुपये सस्ता मिल रहा बीज
- बरसात के बाद कहीं सड़ न जाएं आपके गमले की सब्जियां! अपनाएं ये 6 उपाय, पौधे रहेंगे हरे-भरे, पैदावार भी बढ़ेगी
कटाई का सही समय और पैदावार
बैंगन की फसल बुवाई या रोपाई के करीब 60 से 70 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है, पौधों में फल आने लगते हैं. पहले फल आने के 15 से 20 दिन बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि जब फल पूरी तरह से अपना आकार ले लें, उसका छिलका छिलका चमकदार हो और बीज मुलायम हो, तभी तुड़ाई करें. बात करें बैंगन की फसल से मिलने वाली पैदावार की तो इसकी देसी किस्मों की प्रति हेक्टेयर फसल से किसान औसतन 250 से 350 क्विंटल तक उपज ले सकते हैं वहीं हाइब्रिड किस्मों से 500 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.

बैंगन की खेती से मिल सकती है 500 क्विंटल तक पैदावार (Photo Credit- Canva)