Goat Farming : खेती के साथ बकरी पालन से डबल इनकम, छह महीने में 3 लाख तक मुनाफा पक्का

ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन अब कमाई का नया जरिया बन गया है. कम पूंजी में शुरू होने वाला यह व्यवसाय किसानों को हर महीने हजारों रुपये की आय दे रहा है. दूध, मांस और खाद से होने वाली तिहरी कमाई ने गांवों की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है.

Kisan India
नोएडा | Published: 6 Nov, 2025 | 12:51 PM

Goat Farming : आज गांवों में अगर कोई सबसे तेज से बढ़ता कारोबार है, तो वह है बकरी पालन. लोग इसे अब चलता-फिरता एटीएम कहने लगे हैंक्योंकि इसमें पैसा कहीं फंसता नहीं, बल्कि रोज-रोज निकलता है. कम खर्च, ज्यादा मुनाफा और हर महीने तय कमाईयही वजह है कि गांव के युवा अब खेती के साथ बकरी पालन को भी अपनाकर अपनी किस्मत बदल रहे हैं.

कम लागत में बड़ा फायदा

बकरी पालन  की सबसे खास बात यह है कि इसे शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं होती. 3 से 5 बकरियों के साथ भी किसान या ग्रामीण आसानी से शुरुआत कर सकते हैं. बकरी का बच्चा 6 महीने में बिकने लायक हो जाता है और एक की कीमत लगभग 3 से 5 हजार रुपये तक मिलती है. अगर 20 बकरियां पाल ली जाएं तो महज छह महीनों में 2 से 3 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है.

मीट, दूध और खाद से तीन गुना कमाई

बकरी पालन की खूबी यह है कि इसका हर हिस्सा उपयोगी होता हैदूध, मांस और खाद, तीनों से कमाई होती है. बकरी का दूध  न केवल पोषण से भरपूर होता है, बल्कि इसकी कीमत भी बाजार में ऊंची रहती है. वहीं, इसका मीट सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. बकरी की खाद भी जैविक खेती के लिए सोना साबित होती हैयह 10 से 12 रुपये प्रति किलो बिक जाती है, जिससे अतिरिक्त आमदनी होती है.

वैज्ञानिक तरीके से पालन, नुकसान की नहीं कोई गुंजाइश

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बकरी पालन वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो इसमें नुकसान लगभग नामुमकिन है. अच्छी नस्ल का चुनाव इसमें अहम भूमिका निभाता है. भारत में जमुनापारी, सिरोही, बरबरी और बीटल नस्लें दूध और मांस दोनों के लिए बेहतरीन मानी जाती हैं. एक मादा बकरी  साल में दो बार बच्चे देती है और हर बार दो से तीन बच्चे जन्म ले सकते हैं. यानी बिना किसी अतिरिक्त खर्च के पशु संख्या भी बढ़ती रहती है और इसके साथ आमदनी भी.

महिलाओं और युवाओं के लिए बना रोजगार का जरिया

गांवों में महिलाएं और युवा अब बकरी पालन को छोटे निवेश वाला बड़ा रोजगार मान रहे हैं. यह काम खेती के साथ किया जा सकता है और इसमें रोज 5-6 घंटे की मेहनत ही काफी होती है. कई ग्रामीण परिवार  अब बकरी पालन से हर महीने 30 से 50 हजार रुपये तक की स्थायी आमदनी कर रहे हैं. सरकार भी अब बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनिंग, सब्सिडी और तकनीकी मदद प्रदान कर रही है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सके.

बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर ग्रामीण भारत

बकरी पालन अब सिर्फ एक शौक नहीं रहा, बल्कि यह गांव की अर्थव्यवस्था  को गति देने वाला उद्योग बन चुका है. इससे ग्रामीण आत्मनिर्भर हो रहे हैं और रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं. कम लागत, तेज मुनाफा और निरंतर आमदनी के कारण बकरी पालन अब हर किसान और ग्रामीण परिवार की कमाई की नई कहानी बन गया है.

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