Animal Care Tips: पशुपालन और कृषि में सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से हरे चारे की कमी रही है. गर्मियों में या सूखे के समय पशुओं के लिए पर्याप्त हरा चारा उपलब्ध नहीं होता, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है और दूध उत्पादन घट जाता है. लेकिन अब विज्ञान और अनुभव के सहारे इसका समाधान संभव हो गया है. भूसे और अन्य कृषि अवशेषों से तैयार किया गया पौष्टिक चारा किसानों और पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
भूसे से पौष्टिक चारा तैयार करना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसान अब सामान्य भूसे को विशेष तकनीक के तहत तैयार कर पौष्टिक चारा (Nutritious Fodder) बना सकते हैं. इसमें भूसे को गूंथकर, पानी और विटामिन/खनिज मिलाकर किण्वित किया जाता है. इससे भूसा सिर्फ भरपाई का माध्यम नहीं रह जाता बल्कि इसमें पोषक तत्व भी बढ़ जाते हैं. इस तरह तैयार चारा पशुओं को ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करता है, जिससे उनका वजन और दूध उत्पादन बेहतर होता है.
दूध उत्पादन में बढ़त
पौष्टिक चारा अपनाने से पशुओं का स्वास्थ्य मजबूत होता है. जब पशु स्वस्थ होते हैं तो उनका दूध उत्पादन बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए गाय और भैंस के लिए यह चारा विशेष लाभकारी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशुओं का दूध उत्पादन लगभग 10-15 फीसदी बढ़ गया है. इससे उनकी आमदनी में भी स्पष्ट बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
लागत कम, लाभ ज्यादा
पौष्टिक चारा तैयार करना महंगा नहीं है. यह कृषि अवशेषों जैसे भूसे, गन्ने का बागा, चावल की भूसी और अन्य हरी पत्तियों से बनाया जा सकता है. इन सामग्री का उपयोग करने से किसान कम लागत में अधिक पोषण वाला चारा तैयार कर सकते हैं. इससे पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है और बाजार में चारा खरीदने का खर्च भी बचता है.
सरल और घरेलू तरीके
यह तकनीक सरल है और इसे छोटे स्तर पर भी अपनाया जा सकता है. किसान अपने खेत के पास ही हरे चारे और भूसे का मिश्रण तैयार कर सकते हैं. इसके लिए किसी विशेष मशीन की जरूरत नहीं होती. बस गूंथने, किण्वन और संग्रहण की सही तकनीक का पालन करना होता है. इससे छोटे और सीमांत किसान भी आसानी से लाभ उठा सकते हैं.
पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव
पौष्टिक चारा केवल भूख मिटाने का काम नहीं करता, बल्कि पशुओं को रोगों से भी बचाता है. इसमें प्राकृतिक एंजाइम और पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन शक्ति मजबूत करते हैं और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं. यही वजह है कि किसान अब इस चारे को अपनाकर अपने पशुपालन को अधिक लाभकारी बना रहे हैं.
भविष्य में पशुपालन की नई दिशा
विज्ञान और अनुभव के सहारे तैयार किया गया पौष्टिक चारा पशुपालन को नई दिशा दे रहा है. इससे न केवल दूध और मांस उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसान और पशुपालक कम मेहनत में अधिक लाभ कमा पाएंगे. सरकार और कृषि विश्वविद्यालय भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रहे हैं और प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से किसानों तक इसे पहुंचा रहे हैं.