Successful Story:- गांव की गोशालाओं से निकलकर करोड़ों की कमाई करने वाली महिलाएं आज गुजरात की असली करोड़पति बन गई हैं. ये कोई टीवी शो की विजेता नहीं, बल्कि अपनी मेहनत, पशुपालन और दूध उत्पादन के दम पर गुजरात की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने वाली महिलाएं हैं. बनास डेयरी से जुड़ी इन महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो गाय-भैंस पाल कर भी करोड़ों की कमाई की जा सकती है.
बनास डेयरी की लाखों महिला किसान बना रहीं मिसाल
गुजरात की सबसे बड़ी दूध संग्रहण सहकारी संस्था बनास डेयरी (Banas Dairy) से करीब 4.72 लाख किसान जुड़े हैं, जिनमें 1.68 लाख महिलाएं हैं. यानी करीब 36 फीसदी दूध आपूर्ति महिलाएं कर रही हैं. ये महिलाएं रोजाना लाखों लीटर दूध की सप्लाई करती हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है. बनास डेयरी गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन का हिस्सा है, जो “अमूल” ब्रांड के नाम से देशभर में मशहूर है.
नावलबेन चौधरी- बिना स्कूल गए 2 करोड़ की कमाई
बनासकांठा जिले की 60 वर्षीय नावलबेन चौधरी आज सभी महिला पशुपालकों की प्रेरणा हैं. उन्होंने स्कूल की शक्ल कभी नहीं देखी, लेकिन आज वे पशुपालन की विशेषज्ञ बन चुकी हैं. 15 पशुओं से शुरू करके उन्होंने अपनी संख्या बढ़ाकर 300 गाय-भैंस कर दी हैं. वे रोजाना 1,500 लीटर दूध की सप्लाई करती हैं और 5 परिवारों के लोग इस काम में उनकी मदद करते हैं. बीते साल नावलबेन ने 2.04 करोड़ रुपये की कमाई की, जिसके लिए उन्हें बनास डेयरी की मीटिंग में सम्मानित भी किया गया.
दरियाबेन राजपूत- 18 की उम्र से शुरू, अब करोड़पति
45 वर्षीय दरियाबेन राजपूत की कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. उन्होंने 18 साल की उम्र में शादी के बाद पशुपालन शुरू किया. आज उनके पास 200 भैंसें और 100 गायें हैं. हर दिन सुबह 3:30 बजे उठकर वे खुद दूध दुहती हैं. सुबह 6 बजे तक सारा काम पूरा कर लेती हैं. वे हर दिन करीब 1,000 लीटर दूध की सप्लाई करती हैं और हर महीने करीब 20 लाख रुपये की कमाई करती हैं. पिछले साल उन्होंने 1.85 करोड़ रुपये कमाए.
ऐसी कई महिलाएं बनीं डेयरी की लखपति-करोड़पति
नावलबेन और दरियाबेन जैसी और भी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने डेयरी फॉर्मिंग से करोड़ों कमाए हैं. कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:-
- मणिबेन चौधरी- 1.94 करोड़ रुपये
- जवेरीबेन- 1.93 करोड़ रुपये
- लिलाबेन चौधरी- 1.06 करोड़ रुपये
- सालेह अमीन- 1.25 करोड़ रुपये
- कुसुमबेन डावड़ा- 93.01 लाख रुपये
- उर्सानाबेन- 91.2 लाख रुपये
- मधुबेन चौधरी- 91.76 लाख रुपये
ये महिलाएं अलग-अलग समुदायों से हैं और इन्होंने यह साबित कर दिया है कि मेहनत किसी जाति-धर्म की मोहताज नहीं होती.
21,295 करोड़ का कारोबार और 100 लाख लीटर दूध
बनास डेयरी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 21,295 करोड़ रुपये का टर्नओवर दर्ज किया, जो पिछले साल की तुलना में 11.6 फीसदी अधिक है. डेयरी का कहना है कि पिक सीजन में वे रोजाना 100 लाख लीटर दूध एकत्र करते हैं. यह दूध उन्हीं किसानों से आता है जो अपने घरों में पाले हुए पशुओं से मेहनत करके दूध निकालते हैं.
सीधे खाते में ट्रांसफर: 71,200 करोड़ का भुगतान
बनास डेयरी के चेयरमैन और गुजरात विधानसभा के स्पीकर शंकर चौधरी ने बताया कि हर महीने किसानों के खातों में 71,200 करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर किए जाते हैं. उनका कहना है कि, जब महिलाओं के हाथ में पैसा आता है, तो पूरे गांव की अर्थव्यवस्था बदलती है. यही वजह है कि बनास डेयरी महिला पशुपालकों को विशेष बढ़ावा दे रही है.
महिला सशक्तिकरण की असली मिसाल बनीं ये महिलाएं
गुजरात की ये महिलाएं आज देशभर के लिए उदाहरण बन चुकी हैं. ये न केवल अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि गांवों में नौकरियों के अवसर भी पैदा कर रही हैं. जहां एक ओर पढ़ाई-लिखाई नहीं होने को कमजोरी समझा जाता है, वहीं ये महिलाएं साबित कर रही हैं कि अनुभव, मेहनत और आत्मविश्वास ही असली ताकत है.