Cyclone Montha: ‘मोंथा’ तूफान ने आंध्र प्रदेश में भारी तबाही मचाई है. इससे फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि साइक्लोनिक तूफान ‘मोंथा’ से राज्य में लगभग 5,265 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसमें सबसे अधिक नुकसान सड़क और भवन विभाग का हुआ, जो 2,079 करोड़ रुपये के करीब है. इसके अलावा, एक्वाकल्चर में 1,270 करोड़, कृषि में 829 करोड़, जल संसाधन में 207 करोड़, नगरपालिका सेवाओं में 109 करोड़, रेशम उत्पादन में 65 करोड़, बागवानी में 39 करोड़, बिजली में 16 करोड़, पंचायत राज में 8 करोड़ और पशुपालन में 71 लाख रुपये का नुकसान हुआ. साथ ही तूफान में लगभग 120 पशु भी मारे गए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये आंकड़े प्रारंभिक हैं और सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन, CCTV कैमरा और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके तैयार किए गए हैं. विस्तृत नुकसान का आकलन रिपोर्ट जल्द ही केंद्र को भेजी जाएगी, ताकि वित्तीय मदद मांगी जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि साइक्लोन की तीव्रता के बावजूद तकनीक ने नुकसान कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सैटेलाइट इमेजरी, रियल-टाइम डेटा और पहले से जारी चेतावनी के जरिए समय पर निर्णय लिए गए और जोखिम वाले क्षेत्रों से लोगों का सुरक्षित निकास किया गया.
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जान-माल का भारी नुकसान
उन्होंने कहा कि हमने तूफान की दिशा को सटीक रूप से ट्रैक किया और 24 घंटे अलर्ट जारी किए. प्रॉएक्टिव प्लानिंग और तकनीक के इस्तेमाल से जान-माल का नुकसान काफी हद तक कम हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के स्तर की निगरानी के लिए 602 ड्रोन लगाए गए और Mana Mitra ऐप के जरिए 1.1 करोड़ अलर्ट संदेश लोगों को भेजे गए. इसके अलावा, पुलिस वायरलेस सिस्टम का उपयोग प्रभावित क्षेत्रों में संचार के लिए किया गया. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि आईटी मंत्री नारा लोकेश और गृह मंत्री वंगलापुडी अनिथा ने रियल-टाइम गवर्नेंस सिस्टम (RTGS) के जरिए मैदान में कार्यवाहियों की निगरानी की और फील्ड टीमों को निर्देश दिए.
प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता
नायडू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन सक्रिय योजना और तैयारी से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पहले नुकसान की भरपाई में हफ्तों लग जाते थे, लेकिन इस बार उन्नत तैयारी के कारण तूफान के प्रभाव को काफी हद तक सीमित किया गया. मुख्यमंत्री ने समन्वित प्रयासों को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि गांव सचिवालय के स्टाफ से लेकर विभागों तक, सभी ने योगदान दिया. हमनें पहले से ही बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की पहचान की और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. तकनीक ने फसल नुकसान और जलभराव वाले क्षेत्रों का सही आकलन करने में मदद की.
सरकार ने पूरी पारदर्शिता से काम किया
उन्होंने सोशल मीडिया पर फैल रही गलत जानकारी को भी नकारते हुए कहा कि कुछ ‘फेक लोग’ झूठी पोस्ट डाल रहे हैं, जबकि सरकार ने स्थिति सामान्य करने में पूरी पारदर्शिता से काम किया. मुख्यमंत्री ने बताया कि नेल्लोर से विशाखापत्तनम तक भारी बारिश के बावजूद रायलसीमा के कुछ हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति है और 37 मंडलों को सूखा प्रभावित घोषित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस अनुभव को भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक मैनुअल में संकलित किया जाएगा. तकनीक का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया गया है.