Paddy Farming: धान किसानों को 4 नई धान की उन्नत किस्में मिल गई हैं. कर्नाटक के कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने इन 4 नई धान किस्मों को विकसित किया है. यह किस्में पीली हल्दी, पर्ण झुलसा, झोंका और खैरा रोग जैसी बीमारियों को दूर रखने में सक्षम है, यानी इन बीमारियों को दूर करने पर किसानों को होने वाले खर्च से मुक्ति मिल जाएगी. दावा है कि यह चारों किस्में कम लागत में ज्यादा मुनाफा देंगी. किसान अगले सीजन में इन किस्मों की बुवाई कर पाएंगे.
कृषि मेले में धान की चार नई किस्में पेश
कर्नाटक के उडुपी जिले के ब्रह्मवर स्थित क्षेत्रीय कृषि एवं बागवानी केंद्र में शनिवार से कृषि मेला शुरू हुआ है. इसमें धान की चार नई किस्में प्रदर्शित की गईं और किसानों को अगले सीजन में इनकी बुवाई के लिए उपलब्ध होने की सूचना दी गई. इसके साथ ही किसानों की मदद के लिए बेस्ट किस्म का चुनाव करने के लिए किसानों को सभी किस्मों की उत्पादन, लागत, रोगरोधी क्षमता आदि की जानकारी भी दी गई.
ये नई किस्में पेश की गईं
किसानों के लिए पेश की गईं धान की नई किस्मों में सह्याद्रि ब्रह्मा धान (Sahyadri Brahma Paddy Variety), पंचमुखी धान (Panchamukhi paddy), काजे 25-9 धान (Kaje25-9 Paddy) और सह्याद्रि सप्तमी धान (Sahyadri Sapthami) शामिल हैं. वैज्ञानिकों ने इन किस्मों के पकने की अवधि, रोग सहनशीलता और अनाज के गुणों के बारे में किसानों को जानकारी दी. वैज्ञानिकों ने कहा कि यह सीजन तो बुवाई के लिए निकल गया है, लेकिन किसान इन नई किस्मों की बुवाई अगले खरीफ सीजन में कर पाएंगे.
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कम खर्च में ज्यादा उपज मिलेगी
उडुपी-चिक्कमगलुरु के सांसद कोटा श्रीनिवास पुजारी ने मेले में किसान से कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने नई किस्मों का विकास कर महत्वपूर्ण काम किया है. इससे किसानों को कम खर्च में ज्यादा उपज मिल सकेगी. साथ ही बीमारियों की रोकथाम के लिए कई तरह की दवाओं के छिड़काव और उससे होने वाले फसलों और मिट्टी को नुकसान से भी बचा जा सकेगा.
कृषि महाविद्यालय बनाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव
सांसद ने कहा कि स्थानीय किसानों की मांग के अनुसार ब्रह्मवर में एक कृषि महाविद्यालय स्थापित करने के लिए हर संभव मदद की व्यवस्था करेंगे. अगर राज्य सरकार केंद्र सरकार को एक उपयुक्त प्रस्ताव भेजती है, तो वह उसे स्वीकृत करवाने की व्यवस्था करेंगे. सांसद ने कहा कि जिला प्रशासन को खेती-किसानी से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ किसानों की तिमाही या छमाही बैठकें आयोजित करनी चाहिए.
मुर्गी चारा के लिए नया तरीका खोजा
विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विशेषज्ञ ने बताया कि कचरे को खाद में बदलने की प्रक्रिया किसानों को दिखाई और समझाई. उन्होंने कहा कि काली सैनिक मक्खी अपने लार्वा चरण के दौरान गीले कचरे को खाद में बदलती है और बाद में उसे मुर्गी के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस प्रोटीन युक्त मक्खी से मुर्गी के चारे की लागत 50 फीसदी तक कम की जा सकती है.