सिर्फ 300 रुपये में शुरू करें अपना पोल्ट्री बिजनेस, सरकार भी करेगी मदद- घर बैठे कमाएं हजारों रुपये हर महीने!

केंद्र सरकार की नई योजना से अब सिर्फ 300 रुपये में शुरू करें अपना छोटा पोल्ट्री बिजनेस। ग्रामीण परिवारों और महिलाओं को मिल रहा है रोजगार का मौका। यह पहल आत्मनिर्भरता और बेहतर आमदनी की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 13 Nov, 2025 | 06:00 AM

Poultry Business : ग्रामीण इलाकों में अब आत्मनिर्भर बनने का एक नया रास्ता खुल गया है. कमाई के इस नए आइडिया में न फैक्ट्री चाहिए, न बड़ी जमीन- बस थोड़ी मेहनत और कुछ मुर्गियां. सरकार की बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना ने गांवों में रोजगार और आय का मजबूत जरिया तैयार किया है. खास बात यह है कि इसमें सिर्फ 300 रुपये से 750 रुपये तक का अंशदान देना होता है और इसके बदले में आपको मिलते हैं 45 उन्नत नस्ल के चूजे, उनके लिए दाना और जरूरी दवाइयां भी. यह योजना ग्रामीण परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन रही है, खासकर महिलाओं के लिए जो घर संभालते हुए अब घर से ही अच्छी आमदनी कर रही हैं.

छोटी पूंजी, बड़ा मुनाफा-घर बैठे शुरू करें बिजनेस

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं पड़ती. सिर्फ 300 रुपये से 750 रुपये तक का अंशदान देकर कोई भी ग्रामीण परिवार इस योजना से जुड़ सकता है. सरकार की ओर से लाभार्थी को 45 उच्च नस्ल के चूजे दिए जाते हैं, जो तेजी से बढ़ते हैं और अंडा देने की क्षमता भी ज्यादा होती है. इन चूजों के साथ दाना और दवाइयों की व्यवस्था  भी सरकार की तरफ से की जाती है. यानी शुरुआती देखभाल की पूरी जिम्मेदारी योजना की होती है. इससे लोगों को बिना ज्यादा खर्च किए अपना छोटा पोल्ट्री फार्म शुरू करने का मौका मिल जाता है.

महिलाओं के लिए बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल

यह योजना महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. कई ग्रामीण महिलाएं अब घर के आंगन में ही कुक्कुट पालन  कर रही हैं. इससे एक ओर उन्हें आर्थिक मदद मिल रही है, वहीं दूसरी ओर आत्मविश्वास भी बढ़ा है. महिलाओं के पास आमतौर पर खेती या मजदूरी के सीमित विकल्प होते हैं. लेकिन इस योजना के तहत वे अब अपने घर के आस-पास ही मुर्गियां पालकर अंडे और चूजे बेचकर हर महीने 3,000 से 8,000 रुपये तक कमा रही हैं. यह एक ऐसा रोजगार है जिसे घर के कामों के साथ-साथ आसानी से किया जा सकता है.

पोषण सुरक्षा के साथ बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में कदम

बैकयार्ड पोल्ट्री योजना  का मकसद सिर्फ आमदनी बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण परिवारों को पोषण सुरक्षा देना भी है. ग्रामीण इलाकों में अक्सर प्रोटीन की कमी देखी जाती है, ऐसे में अंडे और चिकन से परिवारों को पौष्टिक भोजन मिल रहा है. सरकार की इस पहल से गांवों में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की दर में सुधार देखने को मिल रहा है. यानि यह योजना सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कारगर साबित हो रही है.

रोजगार का नया रास्ता- बेरोजगार युवाओं के लिए भी मौका

आज के समय में ग्रामीण इलाकों  में रोजगार के अवसर सीमित हैं. ऐसे में यह योजना बेरोजगार युवाओं के लिए भी सुनहरा अवसर है. इसमें न किसी डिग्री की जरूरत है, न किसी बड़ी जगह की. बस थोड़ी सी जगह, साफ-सफाई और सही देखभाल से यह बिजनेस तेजी से बढ़ सकता है. कई युवा अब इसे छोटे स्तर से शुरू करके आगे चलकर मिनी पोल्ट्री फार्म खोल रहे हैं. कुछ लोग तो गांव में दूसरों को ट्रेनिंग देकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा रहे हैं. यानी यह योजना आत्मनिर्भर भारत की सोच को मजबूत बना रही है.

सरकार की मदद और आसान प्रक्रिया

योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति को अपने क्षेत्र के पशुधन विभाग  में आवेदन करना होता है. लाभार्थी का चयन स्थानीय स्तर पर किया जाता है और फिर उन्हें प्रशिक्षण के साथ चूजे, दाना और दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं. योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की आय को बढ़ाना, महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है. इसमें किसी भी व्यक्ति को भारी कर्ज लेने या ज्यादा निवेश करने की जरूरत नहीं पड़ती.

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Published: 13 Nov, 2025 | 06:00 AM

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