Agriculture News: धान कटाई के साथ ही रबी और सब्जी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है. लेकिन इसके साथ ही किसानों को आवारा पशुओं की चिंता सताने लगी है. क्योंकि नीलगाय, बंदर और सूअर झुंड में आकर फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. पर किसानों को अब नीलगाय, बंदर और सूअर को लेकर चिंता करने की जरूत नहीं है. वे देसी नुस्खे और बीना ज्यादा पैसे खर्चे किए इनसे अपनी फसल को बचा सकते हैं. बस इसके लिए उन्हें नीचे बताए गए तरीकों को अपनाना होगा.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, अधिकांश किसान नीलगाय, बंदर और सूअर के साथ-साथ कीट से फसलों को बचाने के लिए अंधाधुन कीटनाशक और रसायनों का इस्तेमाल करते हैं. इसमें पैसे बहुत अधिक खर्च हो जाते हैं और साथ ही फसलों पर भी असर पड़ता है. फिर भी उन्हें नीलगाय और कीटों से उम्मीद के मुताबिक सुरक्षा नहीं मिलती. अगर किसान कृषि वैज्ञानिकों के बताए देसी घोल का इस्तेमाल करते हैं, तो न सिर्फ जानवर दूर रहेंगे, बल्कि कीटों से भी राहत मिलेगी. खास बात यह है कि यह घोल घर पर ही आसानी से बन जाता है और इसकी लागत भी बेहद कम है.
नीलगाय और कीट से होने वाले नुकसान
खासकर जब नीलगाय, सुअर, बंदर और छुट्टा मवेशी खेत में घुसते हैं, तब फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता होता है. कई बार तो किसान रात भर जागकर फसलों की रखवाली करते हैं, फिर भी फसलें पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह पातीं. दूसरी ओर, कीट पौधों की पत्तियों को खाकर उनकी बढ़त रोक देते हैं, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान होता है. एक तरफ फसल की उपज कम हो जाती है और दूसरी तरफ लागत बढ़ जाती है.
1 किलो गोबर और 20 लीटर पानी से बनाएं दवाई
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, जंगली नीलगाय और कीटों से बचाव के लिए नीम और गोबर से बना देसी घोल किसानों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. इसे बनाने के लिए 1 किलो नीम की पत्तियों को पीसकर, उसमें 1 किलो गोबर और 20 लीटर पानी मिलाएं. इस मिश्रण को 10 घंटे तक ढककर रखें और फिर खेत में छिड़काव करें. नीम की कड़वाहट और गोबर की गंध से जानवर खेत के पास नहीं फटकते. वहीं, नीम के तत्व कीटों और बीमारियों से फसल की रक्षा करते हैं. यह उपाय सस्ता, आसान और बेहद असरदार है.
लहसुन का भी करें इस्तेमाल
किसानों के लिए यह तरीका इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें कोई ज्यादा खर्च नहीं आता. न तो महंगी दवाओं की जरूरत होती है और न ही फेंसिंग पर पैसे खर्च करने पड़ते हैं. अगर किसान चाहें तो इस घोल में करंज के बीज या लहसुन भी मिला सकते हैं, जिससे इसकी गंध और असर और भी तेज हो जाएगा. यह तरीका पूरी तरह जैविक है, जिससे मिट्टी की सेहत बनी रहती है और फसल की पैदावार भी अच्छी होती है.