Electricity Bill: भारत सरकार ने 22 सितंबर 2025 से जीएसटी रिफॉर्म 2.0 लागू कर दिया है. इसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देना और मध्यम वर्ग को वित्तीय राहत प्रदान करना है. इस नई नीति के तहत कोयले पर कंपनसेशन सेस समाप्त कर दिया गया है, जिससे बिजली उत्पादन की लागत में कमी आएगी और आम उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत मिलेगी. तो चलिए जानते हैं बिजली बिल में कितनी होगी बचत.
बिजली बिल पर सीधे असर
कोयला बिजली उत्पादन का प्रमुख ईंधन है. कोयले पर कंपनसेशन सेस हटाने और GST दरों में बदलाव के कारण बिजली उत्पादन की लागत घटेगी. शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट लगभग 11 पैसे की बचत हो सकती है. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी घर में महीने में 300 यूनिट बिजली की खपत होती है, तो कुल बचत 33 रुपये होगी यानी पूरे साल में यह 396 रुपये तक पहुंच जाएगी.
कोयले पर बदलाव और असर
मिंट की खबर के अनुसार, जीएसटी रिफॉर्म 2.0 के तहत कोयले पर 400 रुपये प्रति टन का कंपनसेशन सेस पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. साथ ही, कोयले पर जीएसटी दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी गई है. छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी के अनुसार, इन बदलावों से कंपनी को औसतन 152.36 रुपए प्रति टन कम लागत पर कोयला मिलेगा. इससे बिजली उत्पादन की लागत में प्रति यूनिट औसतन 11.54 पैसे की कमी संभव है.
जीएसटी में अन्य बदलाव
नई व्यवस्था में देश में GST की चार दरें घटकर तीन कर दी गई हैं. अब 5 फीसदी, 18 फीसदी और 40 फीसदी ही लागू होंगी. 5 फीसदी दर जरूरी वस्तुओं पर, 18 फीसदी अधिकतर सेवाओं और सामान पर, और 40 फीसदी विलासिता एवं सिगरेट जैसी चीजों पर लागू होगी. रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे शैम्पू, साबुन, टूथपेस्ट, डेयरी उत्पाद, बच्चों के सामान और दवाइयां अब 5 फीसदी या शून्य जीएसटी के दायरे में आ गई हैं. इसका असर सीधे आम जनता की जेब पर पड़ा है.
मिडिल क्लास को मिलेगा फायदा
बिजली बिल में बचत और रोजमर्रा की वस्तुओं पर कम GST का सीधा फायदा मध्यम वर्ग को मिलेगा. इससे परिवारों की मासिक बचत बढ़ेगी और आर्थिक दबाव कम होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न सिर्फ जनता की जेब में राहत देगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक असर डालेगा.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बदलाव से बिजली की खपत बढ़ सकती है, क्योंकि लोग अब बिजली का इस्तेमाल ज्यादा आराम से कर पाएंगे. इसके अलावा, रोजमर्रा की जरूरतों पर कम GST होने से बाजार में मांग बढ़ेगी और छोटे व्यवसायों को भी फायदा होगा.