Champion Kisan: कहते हैं कि इंसान अगर ठान ले तो असंभव को भी संभव बना सकता है. हमारी ‘चैपियन किसान’ सीरीज में आज हम ऐसे ही एक सफल किसान हृदय नरायण दुबे की बात करने वाले हैं, जो कि दिल्ली में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर काम कर रहे थे. लेकिन खेती-किसानी में रूचि होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव की जमीन पर खेती करने का मन बनाया. अपनी कोशिशों के चलते उन्होंने बांस की खेती की शुरुआत की और अब एक सफल खेती की तरफ अपने कदम बढ़ा चुके हैं.
3 एकड़ में बांस की खेती
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के निचलौल ब्लाक क्षेत्र के बहुआर मिश्रौलिया के गुलरभार टोला के रहने वाले हृदय नरायण दुबे ने तीन एकड़ भूमि पर बांस की खेती (Bamboo Farming) की शुरुआत कर आने वाले समय में अच्छी कमाई करने की नींव डाल दी है. दरअसल, हृदय नरायण दुबे ने 4 साल दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम किया. साथ ही वे इंटरनेट पर खेती से कमाई बढ़ाने की जानकारी लेते थे. इसी के चलते उन्हें महसूस हुआ कि उनकी नौकरी से ज्यादा अच्छी कमाई खेती में है, और बस यहीं से उन्होंने अपनी 3 एकड़ जमीन पर बांस की खेती की शुरुआत की.
वेटलैंड में लगाए 3 हजार पौधे
महाराजगंज के हृदय नारायण किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने बताया की उनकी 3 एकड़ पैतृक जमीन छोटी गंडक नदी से करब 200 मीटर दूरी पर है. नदी के पास होने के कारण उनकी जमीन वेट लैंड है. हृदय नारायण बताते हैं कि वेट लैंड होने के कारण उनकी जमीन पर धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की पैदावार बहुत कम होती थी. उन्होंने इसी वेट लैंड में साल 2020 में भीमा बांस (बंबूसा बाल्कुआ) किस्म के 3 हजार पौधे लगाए हैं. उनके लगाए हुए बांस के पौधे अब साल 2025 में काटने के लिए तैयार होने वाले हैं. वे बताते हैं कि उन्होंने अनुमान लगाया है कि बांस की खेती से उन्हें हर साल 10 लाख रुपये की आमदनी होगी.

बांस के खेत
सरकार से चाहते हैं आर्थिक सहायता
किसान हृदय नारायण ने बताया कि उन्होंने इंटरनेट पर पढ़ा है कि राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत बांस के खेती के लिए सरकार बढ़ावा देती है और खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी मुहैया कराती है. उन्होंने बताया कि वे बहुत ही जल्द अपने बांस की खेती के लागत व उपज के आंकड़ों के साथ सरकार से सब्सिडी लेने के लिए आवेदन करेंगे. बता दें कि, बांस का इस्तेमाल आम जरूरतों के साथ ही लुगदी, कागज व फर्नीचर में किया जाता है