कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार गेहूं, कनक और धान किसानों से खरीदती है और खरीदती रहेगी. उन्होंने कहा कि मसूर दाल, उड़द और चना की पूरी उपज MSP पर खरीदी जाएगी. किसान निश्चिंत रहें उनके एक-एक दाने को सरकार खरीदेगी.
लगातार बढ़ती लागत, कच्चे माल की सीमित उपलब्धता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा ने पोल्ट्री उद्योग पर भारी दबाव डाल दिया है. भारत का यह 3 लाख करोड़ रुपये का उद्योग करोड़ों लोगों के भोजन और लाखों परिवारों की रोजी-रोटी से जुड़ा है.
मौसम वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दक्षिण भारत का बारिश पैटर्न इसी तरह अस्थिर रहा, तो आने वाले वर्षों में काली मिर्च का उत्पादन और गिर सकता है. इस फसल को संतुलित मौसम चाहिए, लेकिन जलवायु परिवर्तन इसकी सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.