सुबह 5 से 6 बजे के बीच पहला आहार देना सबसे सही होता है. इससे पशु दिनभर ऊर्जावान रहते हैं.

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सूखा भूसा देने से पोषण की कमी होती है, इसे पानी में भिगोकर, खली और थोड़ा आटा मिलाकर देना चाहिए.

दाने को कुछ घंटे पानी में भिगोने के बाद खिलाने से वह आसानी से पचता है और पोषक तत्व बेहतर तरीके से मिलते हैं.

हरा चारा सीधे न दें, उसे काटकर देना ज्यादा फायदेमंद होता है और इससे गैस व अफारा नहीं होता.

सुबह, दोपहर और शाम, तीन समय पर तय अंतराल में आहार देना पशु के स्वास्थ्य और उत्पादन दोनों के लिए फायदेमंद है.

यदि संभव हो तो पशुओं को शाम को बाहर चराने ले जाएं, इससे उन्हें हरी घास मिलती है और दूध उत्पादन बेहतर होता है.

भूसे में आटा और खली मिलाने से उसका स्वाद और पोषण दोनों बढ़ते हैं, जिससे पशु चारा पूरा खाते हैं.

परंपरागत आहार की जगह वैज्ञानिक और संतुलित पद्धति अपनाने से दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार आता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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